May 16, 2025
शिक्षा विभाग- सुगम क्षेत्रों के डायट को दुर्गम घोषित करने पर उठे सवाल..

शिक्षा विभाग- सुगम क्षेत्रों के डायट को दुर्गम घोषित करने पर उठे सवाल..

 

 

उत्तराखंड: शिक्षा विभाग के हालिया फैसले ने एक बार फिर उसकी कार्यप्रणाली पर सवालिया निशान खड़े कर दिए हैं। प्रदेश के सात जिला शिक्षा एवं प्रशिक्षण संस्थानों (डायट) को इस वर्ष से दुर्गम श्रेणी में शामिल कर दिया गया है, जबकि ये सभी संस्थान अब तक सुगम क्षेत्र में माने जाते थे। हैरानी की बात यह है कि यह निर्णय वर्ष 2022 में किए गए कोटिकरण के आधार पर लिया गया है। इस फैसले से यह सवाल उठ रहा है कि क्या इन क्षेत्रों में बुनियादी सुविधाएं वास्तव में कम हो गई हैं या फिर कुछ खास लोगों को दुर्गम क्षेत्र के भत्तों और अन्य लाभों का फायदा पहुंचाने के लिए यह बदलाव किया गया है? शिक्षा विभाग के इस फैसले को लेकर कर्मचारियों और शिक्षकों में असमंजस की स्थिति है। शिक्षा विभाग के इस कदम को लेकर पारदर्शिता पर सवाल उठ रहे हैं, क्योंकि सुगम माने जाने वाले क्षेत्रों को अचानक दुर्गम घोषित करना प्रशासनिक और नीति निर्धारण के स्तर पर गंभीर चिंता का विषय बन गया है।

तबादला एक्ट के तहत प्रदेश में आधारभूत सुविधाओं जैसे सड़क, बिजली, पानी, शिक्षा, चिकित्सा, रेल एवं हवाई जहाज की सुविधाओं के आधार पर क्षेत्र को सुगम या दुर्गम के रूप में चिन्हित किया जाता है। शिक्षा विभाग में वर्ष 2018 में डायट हरिद्वार, देहरादून, टिहरी, उत्तरकाशी, पौड़ी गढ़वाल, चमोली, रुद्रप्रयाग, पिथौरागढ़, चंपावत, अल्मोड़ा सहित सभी डायटों, राज्य शैक्षिक अनुसंधान एवं प्रशिक्षण परिषद व राज्य शैक्षिक प्रबंधन एवं प्रशिक्षण संस्थान देहरादून को सुगम श्रेणी में शामिल किया गया था, लेकिन इनमें से सात डायट डीडीहाट (पिथौरागढ़), बड़कोट (उत्तरकाशी), गौचर (चमोली), चड़ीगांव (पौड़ी), रतूड़ा (रुद्रप्रयाग) और बागेश्वर को दुर्गम श्रेणी में शामिल कर दिया गया है।

वे भी 29 अप्रैल 2022 में इन डायटों के किए गए कोटिकरण को शिक्षा महानिदेशालय के 13 जून 2024 के एक आदेश से इस साल से दुर्गम श्रेणी में शामिल किया गया है। इन डायटों का चिन्हिकरण भी विभाग की ओर से किया गया है। जबकि इसका निर्धारण डीएम की अध्यक्षता में गठित कमेटी को करना था।प्रदेश में जिन सात डायट को इस साल से सुगम से दुर्गम श्रेणी में शामिल किया गया। विभागीय सूत्रों के मुताबिक उनमें कार्यरत कुछ शिक्षकों की पूरी सेवा दुर्गम में जोड़ दी गई है, जिससे यह शिक्षक पहाड़ नहीं चढ़ेंगे।

 

 

 

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