May 16, 2025
आयुष्मान योजना के तहत इलाज कराने पर प्राइवेट अस्पताल भी आएंगे RTI के दायरे में राज्य सूचना आयोग का बड़ा फैसला..

आयुष्मान योजना के तहत इलाज कराने पर प्राइवेट अस्पताल भी आएंगे RTI के दायरे में राज्य सूचना आयोग का बड़ा फैसला..

 

उत्तराखंड: अगर आप आयुष्मान भारत योजना या गोल्डन कार्ड के जरिए किसी निजी अस्पताल में इलाज करवा रहे हैं, तो अब उस अस्पताल को इलाज से जुड़ी हर जानकारी आपको सूचना अधिकार अधिनियम (RTI Act) के तहत उपलब्ध करानी होगी। यह अहम फैसला उत्तराखंड राज्य सूचना आयुक्त योगेश भट्ट ने सुनाया है। आयोग ने स्पष्ट किया कि चूंकि इन अस्पतालों को सार्वजनिक धन (सरकारी योजना के तहत भुगतान) मिलता है, इसलिए वे सूचना के अधिकार के अंतर्गत आते हैं। ऐसे में मरीज अस्पताल से इलाज, खर्च, दवाओं और अन्य विवरण की जानकारी मांग सकते हैं और अस्पताल उसे देने से इनकार नहीं कर सकते।

यह महत्वपूर्ण फैसला उस वक्त आया जब एक मरीज ने देहरादून स्थित वैलमेड अस्पताल के खिलाफ राज्य सूचना आयोग में शिकायत दर्ज कराई। मरीज ने आयुष्मान योजना के तहत हुए इलाज से जुड़ी जानकारी मांगी थी, लेकिन अस्पताल ने सूचना देने से मना कर दिया। इस पर राज्य सूचना आयुक्त योगेश भट्ट ने राज्य स्वास्थ्य प्राधिकरण के लोक सूचना अधिकारी को नोटिस जारी किया और सुनवाई के दौरान अस्पताल की जिम्मेदारियों पर सख्त रुख अपनाते हुए कहा कि आयुष्मान भारत योजना के तहत इलाज करने वाले सभी निजी अस्पताल RTI के तहत जवाबदेह हैं। यह फैसला न सिर्फ मरीजों के अधिकारों को मजबूत करता है, बल्कि निजी अस्पतालों की पारदर्शिता और जवाबदेही सुनिश्चित करने की दिशा में भी एक अहम कदम है।

आयुष्मान योजना से जुड़े अस्पतालों पर लागू होगा RTI..
स्वास्थ्य विभाग के अधिकारियों ने सुनवाई के दौरान बताया कि प्रदेश के सभी निजी अस्पताल The Clinical Establishments Act 2010 के तहत पंजीकृत हैं। Uttarakhand Clinical Establishments Rules 2013 के तहत संचालित होते हैं। इस कानून के तहत हर अस्पताल को मरीजों का पूरा रिकॉर्ड रखना और आवश्यक जानकारी जिला स्वास्थ्य प्राधिकरण को भेजनी होती है। राज्य स्वास्थ्य प्राधिकरण के प्रतिनिधियों ने भी स्वीकार किया कि जो अस्पताल गोल्डन कार्ड और आयुष्मान भारत योजना के तहत इलाज करते हैं, उन्हें राज्य स्वास्थ्य प्राधिकरण में पंजीकृत होना अनिवार्य है। ऐसे अस्पतालों को योजना के तहत सरकार से भुगतान मिलता है, इसलिए वे पूरी तरह से जवाबदेह हैं।

मरीज को पारदर्शिता के साथ मिले इलाज की जानकारी..
राज्य सूचना आयुक्त योगेश भट्ट ने साफ कहा कि कोई भी निजी अस्पताल सूचना का अधिकार अधिनियम की आड़ में मरीज से इलाज की जानकारी नहीं छिपा सकता। उन्होंने कहा कि यह अधिनियम पारदर्शिता और जवाबदेही सुनिश्चित करने के लिए है। भट्ट ने ये भी निर्देश दिए हैं कि राज्य स्वास्थ्य प्राधिकरण जब किसी अस्पताल को योजना के तहत पंजीकृत करता है, तो उन्हें यह स्पष्ट रूप से बताया जाए कि आरटीआई के तहत मांगी गई जानकारी को देना उनकी कानूनी जिम्मेदारी है।

 

 

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