
एमआरआई-सीटी स्कैन के लिए आयुष्मान का दुरुपयोग, दून अस्पताल की फाइलें लौटा रहा स्वास्थ्य प्राधिकरण..
उत्तराखंड: दून अस्पताल में आयुष्मान भारत योजना के तहत मरीजों द्वारा केवल एमआरआई और सीटी स्कैन कराने के मामलों में बढ़ोतरी देखी जा रही है। अस्पताल सूत्रों के अनुसार हर रोज लगभग 10 मरीज ऐसे भर्ती हो रहे हैं, जो सिर्फ इन महंगी जांचों के लिए योजना का लाभ लेना चाहते हैं। हालांकि जब इन मामलों का क्लेम राज्य स्वास्थ्य प्राधिकरण (एसएचए) को भेजा जाता है, तो फाइलें अस्वीकार कर लौटा दी जा रही हैं, क्योंकि भर्ती सिर्फ जांच के उद्देश्य से योजना के दायरे में नहीं आता। इससे अस्पताल प्रशासन और आयुष्मान इकाई के सामने कार्यप्रणाली को लेकर चुनौती खड़ी हो गई है। विशेषज्ञों का मानना है कि यह ट्रेंड योजना के उद्देश्यों के विपरीत है और इससे वास्तविक जरूरतमंद मरीजों को नुकसान हो सकता है। अस्पताल प्रबंधन अब इन मामलों की सख्ती से जांच करने और अनावश्यक भर्ती को रोकने की तैयारी में है।
आयुष्मान भारत योजना के तहत गड़बड़ियों को लेकर राज्य स्वास्थ्य प्राधिकरण (एसएचए) ने दून अस्पताल की करीब 4400 फाइलों को खारिज कर लौटा दिया, जिससे करोड़ों रुपये का भुगतान रोक दिया गया। एसएचए की जांच में इन फाइलों में प्रक्रियागत अनियमितताओं और प्रावधानों के उल्लंघन की बात सामने आई थी। इस कार्रवाई के बाद आयुष्मान योजना के तहत नियमों को और सख्त किया गया है। जहां पहले एमआरआई और सीटी स्कैन जैसी महंगी जांचें बिना भर्ती के भी योजना में शामिल होती थीं, अब इन्हें कराने के लिए मरीज को अस्पताल में भर्ती होना अनिवार्य कर दिया गया है। एसएचए की इस सख्ती का उद्देश्य योजना के दुरुपयोग पर लगाम लगाना और वास्तविक जरूरतमंद मरीजों तक लाभ पहुंचाना है। अस्पताल प्रशासन को भी अब आयुष्मान के तहत होने वाले प्रत्येक उपचार और जांच की पारदर्शी मॉनिटरिंग करनी होगी, जिससे भविष्य में भुगतान रोके जाने जैसी समस्याओं से बचा जा सके।
ऐसे जिन मरीजों को एमआरआई और सीटी स्कैन की जांच करानी होती थी, उनकी भर्ती फाइल बनाकर अनुमोदन के लिए एसएचए के पास भेजी जाती थी। इसके तुरंत बाद मरीज को डिस्चार्ज कर दिया जाता था, लेकिन अब एसएचए की ओर से इस तरह की सभी फाइलों को सिरे से रद्द किया जा रहा है। जानकारी के अनुसार अस्पताल में हर रोज आयुष्मान कार्ड से सिर्फ एमआरआई और सीटी स्कैन की जांच कराने के लिए ही करीब 10 मरीज भर्ती होते हैं। इन मरीजों का रोग संबंधी ब्योरा तैयार कर इसकी फाइल अनुमोदन के लिए जब एसएचए के पोर्टल पर अपलोड की जाती है, तो एसएचए अपने स्तर पर सत्यापित कर इन फाइलों को वापस भेज देता है।