
गोल्डन कार्ड योजना पर संकट, भुगतान ना मिलने पर निजी अस्पतालों ने इलाज रोका, भड़के कर्मचारी..
उत्तराखंड: गोल्डन कार्ड योजना एक बार फिर विवादों के घेरे में है। करोड़ों रुपये के भुगतान अटकने के कारण निजी अस्पतालों ने गोल्डन कार्ड से इलाज करना बंद कर दिया है, जिससे राज्य निगम कर्मचारी, निकाय कर्मचारी और पेंशनर्स गहरी नाराजगी जता रहे हैं। शनिवार को दो स्तरों पर विरोध दर्ज किया गया। एक ओर राज्य निगम कर्मचारी अधिकारी महासंघ के प्रतिनिधिमंडल ने मुख्य सचिव आनंदबर्द्धन से भेंट कर ज्ञापन सौंपा, वहीं दूसरी ओर सेवानिवृत्त राजकीय पेंशनर्स संगठन ने बैठक कर इस निर्णय के खिलाफ रोष जताया। महासंघ के पदाधिकारियों का कहना है कि प्रदेशभर के निगम और निकायों के कर्मचारी मानसिक और आर्थिक रूप से परेशान हैं। सरकारी स्वास्थ्य योजना में भरोसा खत्म हो रहा है, और निजी अस्पतालों की मनमानी से मध्यमवर्गीय कर्मचारी सबसे अधिक प्रभावित हो रहे हैं। पेंशनर्स संगठन ने भी इस स्थिति को गंभीर बताते हुए सरकार से तत्काल हस्तक्षेप की मांग की है। उनका कहना है कि वरिष्ठ नागरिकों और सेवानिवृत्त कर्मियों के लिए गोल्डन कार्ड जीवन रेखा है, जिसे बाधित करना अमानवीय है।
महासंघ के अनुसार राज्य स्वास्थ्य प्राधिकरण न केवल राज्य कर्मचारियों बल्कि निगम, निकाय और सेवानिवृत्त कार्मिकों के वेतन/पेंशन से गोल्डन कार्ड के लिए नियमित अंशदान काट रहा है। इसके बावजूद प्रदेश के अधिकांश निजी अस्पतालों ने इलाज बंद कर दिया है, जिससे बड़ी संख्या में लाभार्थी असहाय हो गए हैं। कुछ गिने-चुने अस्पतालों में ही फिलहाल निशुल्क इलाज मिल पा रहा है, जबकि अधिकांश अस्पतालों का प्राधिकरण पर करोड़ों रुपये का भुगतान लंबित है। इसी कारण इन संस्थानों ने गोल्डन कार्ड के तहत मरीजों का इलाज करने से मना कर दिया है। महासंघ ने स्पष्ट किया कि यदि इस संकट का शीघ्र समाधान नहीं हुआ, तो कर्मचारी संगठनों को विरोध की राह अपनानी पड़ेगी। मुख्य सचिव आनंदबर्द्धन ने प्रतिनिधिमंडल को आश्वासन दिया कि मांगपत्र पर जल्द ही उच्चस्तरीय वार्ता आयोजित की जाएगी और इस संवेदनशील मुद्दे का स्थायी समाधान निकाला जाएगा।
प्रतिनिधिमंडल ने अपर सचिव पेयजल अपूर्वा पांडे से वार्ता कर जल संस्थान कार्मिकों को वर्ष 1996 से न्यायालय के आदेशों के अनुसार शहर वेतनमान का लाभ अनुमन्य करने, विभाग के ढांचे को स्वीकृत करने, ग्रेड-पे बढ़ाने संबंधी विभिन्न बिंदुओं पर चर्चा कीं। इस संवाद के दौरान महासंघ ने स्पष्ट किया कि न्यायालय के आदेशों के बावजूद वेतनमान का लाभ अब तक लंबित है, जिससे कर्मचारियों में असंतोष है। साथ ही विभागीय संरचना की स्वीकृति और ग्रेड-पे संशोधन जैसे मुद्दे भी लंबे समय से अटके हैं। वार्ता में महासंघ के वरिष्ठ पदाधिकारी मौजूद रहे, जिनमें संरक्षक दिनेश गोसाईं, बीएस रावत, अध्यक्ष दिनेश पंत, महासचिव श्याम सिंह नेगी, शिशुपाल रावत, शिवप्रसाद शर्मा, जीवानंद भट्ट और अनिल भट्ट शामिल थे।