June 25, 2025
द्वितीय केदार मद्महेश्वर ने किया धाम के लिए किया प्रस्थान..

द्वितीय केदार मद्महेश्वर ने किया धाम के लिए किया प्रस्थान..

 

 

उत्तराखंड: पंचकेदारों में द्वितीय केदार माने जाने वाले भगवान मद्महेश्वर के कपाट खोलने की धार्मिक प्रक्रिया का शुभारंभ मंगलवार को पंचकेदार गद्दीस्थल ओंकारेश्वर मंदिर में विधिवत रूप से हुआ। परंपरा अनुसार इस अवसर पर भगवान मद्महेश्वर की भोग मूर्तियों को मंदिर के गर्भगृह से बाहर निकालकर सभामंडप में विधिपूर्वक विराजमान किया गया। भक्तों ने मंत्रोच्चारण और पारंपरिक वाद्य यंत्रों के साथ इस धार्मिक क्षण का स्वागत किया। पंचकेदारों में केदारनाथ के बाद मद्महेश्वर को विशेष मान्यता प्राप्त है। हर वर्ष कपाट बंद रहने के दौरान भगवान की पूजा ओंकारेश्वर मंदिर में होती है, और ग्रीष्म ऋतु के आगमन पर उनकी डोली यात्रा और कपाट खुलने की परंपराएं शुरू होती हैं। स्थानीय पुजारियों और मंदिर समिति के अनुसार, आगामी दिनों में परंपरागत विधियों के साथ डोली यात्रा का आयोजन किया जाएगा और फिर मद्महेश्वर मंदिर के कपाट श्रद्धालुओं के लिए खोले जाएंगे। आज सोमवार को द्वितीय केदार भगवान मदमहेश्वर की डोली ने पंचकेदार गद्दी स्थल ओंकारेश्वर मंदिर से अपने धाम के लिए प्रस्थान किया। 21 मई को द्वितीय केदार के कपाट ग्रीष्मकाल के लिए खोल दिए जाएंगे।

मुख्य पुजारी शिव लिंग को रावल ने छह माह की पूजा की जिम्मेदारी सौंपी..

पंचकेदारों में द्वितीय केदार भगवान मद्महेश्वर के कपाटोद्घाटन की पूर्व प्रक्रिया के तहत रविवार को गद्दीस्थल ओंकारेश्वर मंदिर में पारंपरिक वैदिक विधियों के साथ विशेष पूजा-अर्चना की गई। इस अवसर पर गर्भगृह में सुबह से ही धार्मिक अनुष्ठान शुरू हो गए। पुजारी टी. गंगाधर लिंग ने भगवान मद्महेश्वर और भगवान ओंकारेश्वर की भोग मूर्तियों को पंचामृत स्नान कराते हुए महाभिषेक और महाआरती संपन्न कराई। इसके पश्चात भोग मूर्तियों को मंदिर के सभामंडप में विधिपूर्वक विराजमान किया गया। इसके बाद केदारनाथ के रावल भीमाशंकर लिंग स्वयं उपस्थित हुए और उन्होंने मुख्य पुजारी शिव लिंग को आगामी छह माह की पूजा की विधिवत जिम्मेदारी सौंपी। यह धार्मिक आयोजन पंचकेदारों की गहराई से जुड़ी परंपरा का प्रतीक है, जिसमें भगवान की भोग मूर्तियों को गद्दीस्थल से मूल मंदिर तक पहुंचाने की प्रक्रिया विधिपूर्वक निभाई जाती है।

 

इस अवसर पर ओंकारेश्वर मंदिर परिसर में उदयपुर, बंजपाणी, ब्राह्मणखोली और डंगवाड़ी गांव की महिलाओं ने भगवान को नये अनाज का भोग भी लगाया। सोमवार को उनकी चल उत्सव विग्रह डोली सुबह प्रस्थान करेगी और रात्रि प्रवास के लिए राकेश्वरी मंदिर रांसी पहुंचेगी। 20 मई को डोली गौंडार गांव में विश्राम करेगी और 21 मई को द्वितीय केदार के कपाट दर्शन के लिए खोल दिए जाएंगे। इस मौके पर मंदिर के प्रभारी अधिकारी रमेश नेगी, वेदपारी विश्वमोहन जमलोगी, आशाराम नौटियाल, गिरीश सेमवाल, राजन सेमवाल, शिव सिंह पंवार, आकाश पंवार, भूपेंद्र पंवार आदि मौजूद थे।

 

 

 

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