
फूलों की घाटी ने ओढ़ी रंगीन चादर, एक जून से खुलेगा प्रकृति प्रेमियों के लिए द्वार..
उत्तराखंड: विश्व धरोहर स्थल “फूलों की घाटी” में बर्फ पिघलने के साथ ही रंग-बिरंगे फूलों ने दस्तक दे दी है। घाटी में जीवन की रंगत लौटने लगी है और वसंत के पहले फूलों की पहली झलक वन विभाग की टीम ने कैमरे में कैद की है। वन विभाग की टीम घाटी का भ्रमण करने गई थी, जहां उन्हें विभिन्न प्रजातियों के फूल खिलते हुए दिखाई दिए। ये दृश्य इस बात का संकेत है कि घाटी अब धीरे-धीरे अपने पूर्ण प्राकृतिक वैभव की ओर लौट रही है।पर्यटकों के लिए फूलों की घाटी एक जून से खोल दी जाएगी। हर साल मानसून के आगमन से पहले यह घाटी अपनी अनोखी जैवविविधता और प्राकृतिक सौंदर्य के लिए हजारों सैलानियों को आकर्षित करती है। फूलों की घाटी को यूनेस्को की विश्व धरोहर सूची में वर्ष 2005 में शामिल किया गया था। यहां जुलाई से अगस्त के मध्य तक लगभग 500 से अधिक फूलों की प्रजातियां खिलती हैं, जिनमें ब्रह्मकमल, ब्लू पॉपी, कोबरा लिली, हिमालयन बेल जैसे दुर्लभ फूल शामिल होते हैं।
फूलों की घाटी को पर्यटकों के लिए एक जून से खोल दिया जाएगा। इसको लेकर नंदा देवी राष्ट्रीय पार्क प्रशासन की तैयारियां तेज़ी पर हैं। अधिकारियों ने हाल ही में घाटी का निरीक्षण किया, जिसमें उन्हें कुछ स्थानों पर फूल खिलते हुए दिखाई दिए। पार्क प्रशासन के अनुसार, जून महीने में घाटी में करीब 10 से 15 फूलों की प्रजातियां खिल जाती हैं। लेकिन असली बहार मानसून में आती है, जब सैकड़ों दुर्लभ और रंग-बिरंगी प्रजातियां एक साथ खिलकर घाटी को एक जीवंत पेंटिंग में बदल देती हैं। 2005 में यूनेस्को द्वारा विश्व धरोहर घोषित फूलों की घाटी, लगभग 87 वर्ग किलोमीटर क्षेत्र में फैली है। यह क्षेत्र ब्रह्मकमल, ब्लू पॉपी, कोबरा लिली, हिमालयन बेल जैसी दुर्लभ प्रजातियों के लिए विश्व प्रसिद्ध है। पर्यटक हर साल जुलाई से अगस्त के बीच इस घाटी का दीदार करने पहुंचते हैं। फूलों की घाटी के वन क्षेत्राधिकारी चेतना कांडपाल का कहना है कि घाटी में बर्फ पिघलने के साथ ही फूल खिलने लग गए हैं। इसमें प्राईमूला, एलिएम और वाइल्ड रोज के फूल शामिल हैं। इस बार घाटी में अच्छी बर्फबारी हुई है। इसलिए अच्छे फूल लिखने की उम्मीद है।