
नीति आयोग के समक्ष उत्तराखंड ने रखी स्थायी आपदा प्रबंधन और फॉरेस्ट वारियर की मांग..
उत्तराखंड: उत्तराखंड के समग्र विकास को गति देने के उद्देश्य से भारतीय जनता पार्टी (भाजपा) ने नीति आयोग के समक्ष कई महत्वपूर्ण सुझाव और मांगें रखी हैं। पार्टी ने विशेष रूप से राज्य के पर्यावरणीय योगदान को रेखांकित करते हुए ग्रीन बोनस समेत विभिन्न मुद्दों पर केंद्रीय सहयोग की मांग की है।भाजपा प्रतिनिधिमंडल ने नीति आयोग के समक्ष उत्तराखंड द्वारा राष्ट्रीय पर्यावरण संरक्षण में निभाई जा रही भूमिका को रेखांकित करते हुए इन योजनाओं के लिए सहायता मांगी नदियों पर रॉयल्टी की व्यवस्था, कार्बन डेटिंग अंशदान योजना, फॉरेस्ट वारियर की नियुक्ति, सोलर फेंसिंग के लिए अनुदान जैसी योजनाओं के लिए केंद्रीय सहायता मांगी है। पार्टी का कहना है कि उत्तराखंड जैसे पर्वतीय राज्यों की प्राकृतिक सीमाएं और पर्यावरणीय जिम्मेदारियां बाकी राज्यों से अलग हैं, इसलिए केंद्र को उनके लिए वित्तीय और संरचनात्मक समर्थन बढ़ाना चाहिए।
पार्टी की ओर से 20 सूत्रीय कार्यक्रम कार्यान्वयन समिति के अध्यक्ष ज्योति प्रसाद गैरोला ने आयोग के सामने राज्य की स्थिति और आवश्यकताओं को विस्तार से रखा. प्रतिनिधिमंडल का कहना हैं कि उत्तराखंड देश का एकमात्र राज्य है, जिसने नई राष्ट्रीय शिक्षा नीति को सबसे पहले लागू किया और सतत विकास लक्ष्यों की दिशा में अग्रणी रहा है। बैठक में कहा कि शहरीकरण, तीर्थाटन, फिल्म निर्माण और पर्यटन को देखते हुए उत्तराखंड को विशेष शहरी अवस्थापना सहायता की जरूरत है. साथ ही हाइड्रो प्रोजेक्ट्स और सॉलिड वेस्ट टू एनर्जी यूनिट जैसे उपायों पर केंद्र सरकार की मदद की अपेक्षा जताई।
उत्तराखंड में बढ़ती वनाग्नि और प्राकृतिक आपदाओं को देखते हुए राज्य सरकार ने नीति आयोग की बैठक में स्थायी आपदा प्रबंधन प्रणाली की मांग रखी है। इसके साथ ही ग्रामीण क्षेत्रों में स्थानीय युवाओं को शामिल कर फॉरेस्ट वारियर तैनात करने का सुझाव भी दिया गया। बैठक में यह बात स्पष्ट की गई कि पर्वतीय प्रदेश होने के कारण उत्तराखंड भू-स्खलन, बाढ़, और वनाग्नि जैसी आपदाओं से नियमित रूप से प्रभावित होता है। ऐसे में राज्य को एक स्थायी और सशक्त आपदा प्रबंधन ढांचे की जरूरत है, जिसके लिए केंद्रीय सहायता अनिवार्य है। राज्य प्रतिनिधिमंडल ने सुझाव दिया कि ग्रामीण क्षेत्रों में रोजगार सृजन और वन संरक्षण को जोड़ते हुए स्थानीय युवाओं की भर्ती कर “फॉरेस्ट वारियर” की एक प्रशिक्षित टीम तैयार की जाए, जो वनाग्नियों को समय रहते नियंत्रित कर सके। बैठक में यह भी बताया गया कि पहाड़ी क्षेत्रों में वन्यजीवों द्वारा फसलों को नुकसान एक बड़ी समस्या है। इसे रोकने के लिए सोलर फेंसिंग की आवश्यकता बताई गई, ताकि किसानों की आजीविका की सुरक्षा सुनिश्चित की जा सके।
वहीं बैठक में राज्य के कच्चे माल पर आधारित उद्योगों के विकास को प्राथमिकता देने की बात कही। साथ ही खेलों, जल जीवन मिशन, तीर्थ और साहसिक पर्यटन को देखते हुए बेहतर कनेक्टिविटी, हेली सेवा, रेल और मेट्रो नेटवर्क विस्तार के लिए भी मदद मांगी। बैठक में प्राकृतिक जल स्रोतों के संरक्षण, नदियों के पुनर्जीवन और पर्यावरणीय संतुलन बनाए रखने के लिए भारत सरकार के सहयोग की जरूरत पर बल दिया।