June 25, 2025
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उत्तराखंड में बनेगा ‘योग व प्राकृतिक चिकित्सा निदेशालय’, नीति संचालन और गुणवत्ता नियंत्रण करेगा..

उत्तराखंड: योग और वेलनेस को बढ़ावा देने की दिशा में उत्तराखंड सरकार ने बड़ा कदम उठाते हुए राज्य की पहली योग नीति को मंजूरी दे दी है। इस नीति का उद्देश्य उत्तराखंड को योग एवं वेलनेस की वैश्विक राजधानी के रूप में विकसित करना है। नई योग नीति के तहत राज्य सरकार योग एवं ध्यान केंद्रों की स्थापना को प्रोत्साहित करेगी। इसके अंतर्गत पर्वतीय क्षेत्रों में योग केंद्र स्थापित करने पर 50 प्रतिशत या अधिकतम 20 लाख रुपये तक की सब्सिडी मिलेगी। साथ ही मैदानी क्षेत्रों में यह सब्सिडी 25 प्रतिशत या अधिकतम 10 लाख रुपये तक होगी। राज्य सरकार का अनुमान है कि इस नीति के तहत प्रदेश में 13,000 से अधिक लोगों को रोजगार के नए अवसर प्राप्त होंगे। यह पहल न केवल पर्यटन और स्वास्थ्य के क्षेत्र को बढ़ावा देगी, बल्कि युवाओं को आत्मनिर्भर बनने की दिशा में भी प्रेरित करेगी। सरकार का मानना है कि उत्तराखंड की प्राकृतिक, आध्यात्मिक और सांस्कृतिक विरासत को ध्यान में रखते हुए यह नीति राज्य की छवि को अंतरराष्ट्रीय स्तर पर मजबूत करेगी।

उत्तराखंड सरकार ने अंतरराष्ट्रीय योग दिवस से पहले राज्य की पहली योग नीति को कैबिनेट से मंजूरी दे दी है। इस नीति का उद्देश्य योग को सामाजिक, शैक्षणिक, आर्थिक और पर्यटन आधारित मॉडल के रूप में विकसित करना है, जिससे प्रदेश को योग और वेलनेस की वैश्विक राजधानी के रूप में स्थापित किया जा सके। सरकार द्वारा योग और ध्यान केंद्रों के लिए निवेश को प्रोत्साहन, पर्वतीय क्षेत्रों में केंद्र स्थापित करने पर 50% या अधिकतम 20 लाख तक की सब्सिडी देगी। मैदानी क्षेत्रों में 25% या अधिकतम 10 लाख की सब्सिडी के साथ ही जागेश्वर, मुक्तेश्वर, व्यास घाटी, टिहरी झील और कोलीढेक झील को योग हब के रूप में विकसित किया जाएगा। साथ ही निजी और संस्थागत निवेश को आकर्षित करने के लिए अनुकूल वातावरण तैयार किया जाएगा। मार्च 2026 तक प्रदेश के सभी आयुष हेल्थ एवं वेलनेस केंद्रों में योग की सुविधा उपलब्ध कराने का लक्ष्य रखा गया है। सरकार का कहना है कि यह नीति न केवल प्रदेश के पर्यटन और रोजगार को बढ़ावा देगी, बल्कि योग आधारित जीवनशैली को आमजन तक पहुंचाने में अहम भूमिका निभाएगी। नीति में योग केंद्र व संस्थानों का शत प्रतिशत पंजीकरण करने का प्रावधान किया गया। इसके लिए विशेष ऑनलाइन योग प्लेटफार्म शुरू किया जाएगा। अभी तक प्रदेश में संचालित योग केंद्रों के पंजीकरण की व्यवस्था नहीं है।

10 लाख तक शोध परियोजनाओं पर मिलेगा अनुदान
योग, ध्यान और प्राकृतिक चिकित्सा के क्षेत्र में शोध को बढ़ावा देने के लिए नीति में 10 लाख तक परियोजना को अनुदान देने का प्रावधान किया गया। विश्वविद्यालय, अनुसंधान संस्थान, स्वास्थ्य संगठन, आयुर्वेद संस्थाएं व एनजीओ को शोध के लिए अनुदान का लाभ दिया जाएगा। इसके लिए नीति में एक करोड़ रुपये की व्यवस्था की गईं। इसके साथ ही राज्य में पहले से चल रहे होमस्टे, रिसॉर्ट, होटल, स्कूल, कॉलेज में स्थापित होने वाले योग केंद्रों में रखे जाने वाले योग अनुदेशक के लिए प्रति सत्र 250 रुपये की प्रतिपूर्ति सरकार करेगी। एक योग अनुदेशक को प्रति माह 20 योग सत्रों के लिए प्रतिपूर्ति की जाएगी।

योग व प्राकृतिक चिकित्सा निदेशालय बनेगा
उत्तराखंड सरकार ने हाल ही में मंजूर की गई योग नीति के तहत राज्य में “योग एवं प्राकृतिक चिकित्सा निदेशालय” की स्थापना करने का निर्णय लिया है। यह निदेशालय राज्यभर में योग और वेलनेस गतिविधियों के संचालन, निगरानी, और गुणवत्ता नियंत्रण का प्रमुख केंद्र होगा। योग केंद्रों की गुणवत्ता की निगरानी और प्रमाणन बोर्ड से मान्यता सुनिश्चित करना, योग केंद्रों की रेटिंग प्रणाली विकसित करना, नीति के तहत दिए जाने वाले अनुदानों का वितरण और नियमन, राष्ट्रीय और अंतरराष्ट्रीय संस्थाओं से एमओयू के माध्यम से सहयोग स्थापित करना, निदेशालय में एक निदेशक, संयुक्त निदेशक, उपनिदेशक, योग विशेषज्ञ, रजिस्ट्रार और अन्य आवश्यक स्टाफ की नियुक्ति की जाएगी। राज्य सरकार का लक्ष्य है कि इस व्यवस्था के माध्यम से उत्तराखंड को योग, ध्यान और प्राकृतिक चिकित्सा की वैश्विक राजधानी के रूप में विकसित किया जाए। सरकार का मानना है कि यह निदेशालय नीति के प्रभावी क्रियान्वयन और योग क्षेत्र में संस्थागत पारदर्शिता एवं विश्वसनीयता को बढ़ावा देगा। इससे पूर्व सरकार ने पर्वतीय क्षेत्रों में योग केंद्र खोलने पर 20 लाख तक की सब्सिडी, शोध को बढ़ावा देने के लिए 10 लाख तक अनुदान, तथा योग अनुदेशकों को प्रति सत्र 250 की प्रतिपूर्ति जैसी कई घोषणाएं की हैं।

 

पांच साल में सब्सिडी पर 35 करोड़ होंगे खर्च
प्रदेश सरकार योग नीति में दी जाने वाली सब्सिडी पर पांच साल में 35 करोड़ खर्च करेगी। इसमें योग केंद्रों के लिए 25 करोड़, अनुसंधान के लिए एक करोड़, शिक्षक प्रमाणन के लिए 1.81 करोड़ और मौजूदा संस्थानों में योग सत्रों के लिए संचालन में सहयोग पर 7.5 करोड़ के व्यय का अनुमान है। नीति की समीक्षा व निगरानी के लिए एक उच्च स्तरीय राज्य समिति का गठन किया जाएगा। योग सर्टिफिकेशन बोर्ड की प्रमाणन परीक्षा में सफल रहने वाले योग अनुदेशकों को परीक्षा शुल्क की प्रतिपूर्ति की जाएगी। हर साल 500 योग अनुदेशकों को इसका लाभ मिलेगा। साथ ही 10 हजार योग अनुदेशकों को होटल व होमस्टे में रोजगार मिलेगा। योग नीति को मंजूरी मिलने से उत्तराखंड योग व वेलनेस की वैश्विक राजधानी बनने की दिशा में तेजी से आगे बढ़ेगा। नीति में निवेश, शोध, प्रशिक्षण को बढ़ावा देने के लिए अनुदान का प्रावधान किया गया।

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