July 12, 2025
satpal maharaj

सतपाल महाराज ने केंद्रीय वन मंत्री से की मुलाकात, बुग्यालों में कैंपिंग पर लगी रोक हटाने और बंद ट्रैक खोलने के दिए निर्देश..

 

 

उत्तराखंड: प्रदेश में सड़क और ट्रैक रूट विकास को गति देने के लिए पर्यटन मंत्री सतपाल महाराज ने शनिवार को एक अहम बैठक में लोक निर्माण विभाग, पर्यटन विभाग और वन विभाग के अधिकारियों को संयुक्त रूप से ठोस कार्ययोजना बनाने के निर्देश दिए। मंत्री ने कहा कि जैसे प्रधानमंत्री ग्राम सड़क योजना (PMGSY) के तहत सड़क निर्माण में वन विभाग की मंजूरी के स्पष्ट मानक लागू हैं, वैसे ही मानक लोक निर्माण विभाग (PWD) की सड़कों पर भी लागू होने चाहिए। इससे राज्य में सड़क निर्माण की परियोजनाएं बिना अनावश्यक रुकावट के तेजी से पूरी की जा सकेंगी। पर्यटन मंत्री ने पर्यटन विभाग और वन विभाग को मिलकर काम करने के निर्देश देते हुए कहा किपर्यटन की दृष्टि से जो ट्रैकिंग रूट वर्षों से बंद पड़े हैं, उन्हें त्वरित कार्रवाई के तहत पुनः खोला जाए।

इससे न केवल ट्रैकिंग पर्यटन को बढ़ावा मिलेगा, बल्कि स्थानीय लोगों को रोजगार और क्षेत्रीय विकास के अवसर भी मिलेंगे। सतपाल महाराज ने स्पष्ट किया कि विभागों के बीच समन्वय की कमी के कारण कई सड़क और ट्रैक प्रोजेक्ट लंबित हैं। यदि एकीकृत नीति बनाकर सभी विभाग एक साथ कार्य करें, तो यह समस्या दूर हो सकती है। पर्यटन और सड़क कनेक्टिविटी को एक साथ जोड़ने की दिशा में यह पहल उत्तराखंड के दूरस्थ इलाकों को बेहतर संपर्क, पर्यटन विस्तार और रोजगार देने में सहायक होगी। विकास और पर्यटन आधारित अर्थव्यवस्था को मजबूती देने की दिशा में मील का पत्थर साबित हो सकती है।

उत्तराखंड में सड़क परियोजनाओं की गति को तेज करने और वन स्वीकृति संबंधी अड़चनों को दूर करने के उद्देश्य से पर्यटन मंत्री सतपाल महाराज ने शनिवार को हुई बैठक में लोक निर्माण विभाग (PWD) के लिए प्रधानमंत्री ग्राम सड़क योजना (PMGSY) जैसी प्रक्रिया अपनाने के निर्देश दिए। महाराज ने कहा कि लोक निर्माण विभाग द्वारा सड़क निर्माण के लिए वन विभाग को दुगनी सिविल भूमि क्षतिपूर्ति के रूप में देनी होती है, जबकि पीएमजीएसवाई में यह प्रावधान नहीं है। PWD को अक्सर परियोजना क्षेत्र के आसपास दुगनी भूमि उपलब्ध नहीं हो पाती, जिससे सड़क निर्माण लंबित हो जाता है।

वहीं PMGSY में रिजर्व फॉरेस्ट क्षेत्र में अधिग्रहित भूमि के बदले वन विभाग को कोई अतिरिक्त भूमि नहीं, बल्कि उसी क्षेत्र में वनरोपण (compensatory afforestation) कर सड़क निर्माण की अनुमति मिल जाती है। मंत्री के अनुसार PMGSY की प्रक्रिया अधिक सरल, व्यावहारिक और तेजी से क्रियान्वयन योग्य है। इसलिए यही मानक PWD की परियोजनाओं पर भी लागू किए जाएं। इससे न केवल निर्माण की प्रक्रिया आसान होगी, बल्कि राज्य की सड़क कनेक्टिविटी और पर्यटन ढांचा भी मज़बूत होगा। सतपाल महाराज ने बैठक में शामिल वन विभाग, लोक निर्माण विभाग और पर्यटन विभाग के अधिकारियों को निर्देश दिए कि एक संयुक्त कार्ययोजना बनाई जाए, जिससे सड़क और ट्रैकिंग रूट परियोजनाओं को बिना प्रशासनिक और तकनीकी अड़चनों के शीघ्र मंजूरी मिल सके।

पर्यटन मंत्री सतपाल महाराज ने शनिवार को आयोजित बैठक में अधिकारियों को कई अहम निर्देश दिए। उन्होंने हाल ही में केंद्रीय वन मंत्री भूपेंद्र यादव से हुई मुलाकात का जिक्र करते हुए कहा कि उन्होंने वन विभाग से संबंधित जटिलताओं को दूर करने के लिए केंद्र से हस्तक्षेप की मांग की है। मंत्री ने अधिकारियों से कहा कि नैनीताल हाईकोर्ट द्वारा उत्तराखंड के बुग्यालों (उच्च हिमालयी घासभूमि) में कैंपिंग पर लगाई गई रोक को हटाने के प्रयास किए जाएं। उन्होंने कहा कि अगर ईको-फ्रेंडली नियमों के तहत कैंपिंग हो, तो इससे पर्यावरण को नुकसान नहीं बल्कि स्थानीय अर्थव्यवस्था को बढ़ावा मिलेगा। सतपाल महाराज ने चमोली जिले के वाण से रूपकुंड और घेस से बगजी ट्रैक, जो कि बद्रीनाथ वन प्रभाग के अंतर्गत आते हैं, को फिर से खोलने की जरूरत बताई।

इसके साथ ही उन्होंने नंदा देवी ट्रैक और चोपता में टेंट लगाने की अनुमति देने के लिए भी ठोस प्रयास करने को कहा। मंत्री ने कहा कि उत्तरकाशी जिले में कई ट्रैकिंग रूट सुरक्षा या वन विभाग की रोक के चलते बंद पड़े हैं, जिन्हें पर्यटन की दृष्टि से फिर से खोलना बेहद आवश्यक है। सतपाल महाराज ने बताया कि देहरादून प्रवास के दौरान केंद्रीय वन मंत्री भूपेंद्र यादव से उन्होंने इन मुद्दों पर बात की और कहा कि राज्य की भौगोलिक और पारिस्थितिकीय परिस्थितियों को ध्यान में रखते हुए वन मंजूरी नियमों में लचीलापन जरूरी है। महाराज की इन पहल से स्पष्ट है कि उत्तराखंड सरकार राज्य के ट्रैकिंग पर्यटन, साहसिक पर्यटन और पर्यावरणीय पर्यटन को संतुलन के साथ बढ़ावा देने के लिए प्रतिबद्ध है। यदि इन सुझावों को लागू किया जाता है, तो इससे न केवल पर्यटन गतिविधियों में इजाफा होगा, बल्कि स्थानीय लोगों को रोजगार और क्षेत्रीय विकास में भी गति मिलेगी।

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