August 28, 2025
सरयू नदी में करोड़ों की लागत से बनना था पुल, शिलान्यास हुआ लेकिन उद्घाटन अधर में..

सरयू नदी में करोड़ों की लागत से बनना था पुल, शिलान्यास हुआ लेकिन उद्घाटन अधर में..

 

 

उत्तराखंड: सरयू नदी में मंडलसेरा से कठायतबाड़ा को जोड़ने के लिए प्रस्तावित पुल का निर्माण अधर में लटक गया है। सूरजकुंड के पास पाँच करोड़ से अधिक की लागत से स्वीकृत इस पुल का शिलान्यास सांसद अजय टम्टा ने किया था, लेकिन बाद में इसे औचित्यहीन बताते हुए निर्माण कार्य रोक दिया गया। इससे क्षेत्र के लोगों में निराशा है। स्थानीय लोगों का कहना है कि यह पुल बनने से मंडलसेरा, कठायतबाड़ा और आसपास के क्षेत्रों के सैकड़ों लोगों को राहत मिलती। आवाजाही सुगम होने के साथ ही व्यापार और आवागमन के नए रास्ते खुलते। शिलान्यास होने के बाद लोगों को उम्मीद थी कि जल्द ही पुल का निर्माण शुरू होगा, लेकिन अब परियोजना पर रोक लगने से उनकी उम्मीदें धूमिल हो गई हैं। क्षेत्रीय विधायक पार्वती दास ने कहा कि पुल का निर्माण जनहित में अत्यंत आवश्यक है। उन्होंने स्पष्ट किया कि वह इस विषय पर मुख्यमंत्री पुष्कर सिंह धामी से बात करेंगी और लोगों की मांग सरकार तक पहुंचाएँगी। विधायक का कहना है कि इस पुल से हजारों ग्रामीणों का जीवन सुगम होगा, इसलिए इसे हर हाल में बनाया जाना चाहिए। फिलहाल प्रशासन की ओर से इस मामले पर कोई आधिकारिक बयान सामने नहीं आया है। बताया जा रहा है कि तकनीकी और वित्तीय औचित्य को देखते हुए पुल के निर्माण पर रोक लगाई गई है। हालांकि, क्षेत्रीय जनता और जनप्रतिनिधि अब सरकार से इस मामले में सकारात्मक हस्तक्षेप की उम्मीद कर रहे हैं।

बागेश्वर जिले के मंडलसेरा और दीपनगर क्षेत्र के लोग लंबे समय से ट्रैफिक जाम की समस्या से जूझ रहे हैं। संकरी सड़कों और बढ़ते वाहनों के दबाव ने स्थिति को और गंभीर बना दिया है। रोजाना स्कूली बच्चों, कामकाजी लोगों और स्थानीय व्यापारियों को घंटों जाम में फंसना पड़ रहा है। इस समस्या से निजात दिलाने के लिए वर्ष 2019 में केंद्रीय सड़क निधि से 539.64 लाख रुपये का प्रशासकीय अनुमोदन मिला था। योजना के तहत सुंदरकुंड के पास सरयू नदी पर 84 मीटर स्टील गार्डर पुल बनाने की स्वीकृति दी गई थी। इस पुल से मंडलसेरा और दीपनगर के लोगों को जाम की समस्या से काफी राहत मिलने की उम्मीद थी।स्थानीय लोगों का कहना है कि शिलान्यास के बाद भी पुल का निर्माण कार्य शुरू नहीं हो सका। इससे जनता में रोष है। ग्रामीणों का कहना है कि अगर पुल का निर्माण समय पर हो जाता, तो शहर के भीतर लगने वाले लंबे-लंबे जाम से छुटकारा मिल जाता और आवागमन काफी सुगम हो जाता। ट्रैफिक जाम के कारण स्कूल, अस्पताल और बाजार तक पहुँचना भी चुनौतीपूर्ण हो गया है। आपात स्थिति में मरीजों को अस्पताल पहुँचाने में भी देरी होती है। वहीं व्यापारियों का कहना है कि जाम के कारण ग्राहकों की आवाजाही प्रभावित हो रही है, जिससे कारोबार पर भी असर पड़ रहा है। क्षेत्रीय जनता और जनप्रतिनिधियों ने राज्य सरकार से जल्द से जल्द पुल निर्माण कार्य शुरू करने की मांग की है। उनका कहना है कि 539 लाख रुपये की स्वीकृति के बावजूद काम में देरी जनता के साथ अन्याय है।

इस पुल के लिए वर्ष 2019 में 539.64 लाख रुपये की प्रशासकीय स्वीकृति भी मिल गई और 2020-21 में सांसद अजय टम्टा ने इसका शिलान्यास भी किया। लेकिन चार साल गुजर जाने के बाद भी पुल का निर्माण शुरू नहीं हो सका। क्षेत्रीय विधायक पार्वती दास ने कहा कि स्वीकृत धनराशि केवल पहले चरण के लिए थी, जबकि पुल की कुल लागत करीब आठ करोड़ रुपये आंकी गई थी। शिलान्यास के बाद जनता को उम्मीद जगी थी कि पुल बनते ही जाम से राहत मिलेगी, लेकिन अब तक काम आगे नहीं बढ़ा। लोक निर्माण विभाग के अधिकारियों के अनुसार प्रस्तावित स्थल के अपस्ट्रीम में पहले से एक और डाउनस्ट्रीम में चार पुल मौजूद हैं। ऐसे में अतिरिक्त पुल का निर्माण औचित्यपूर्ण नहीं पाया गया। विभाग का कहना है कि नदी पर डेढ़ सौ मीटर की दूरी पर पहले से अस्थायी पुल है, जबकि तकनीकी मानकों के अनुसार दो पुलों के बीच कम से कम डेढ़ से दो किलोमीटर की दूरी होनी चाहिए। स्थानीय लोगों का कहना है कि मंडलसेरा और दीपनगर को जोड़ने वाला यह पुल जनता के लिए जीवनरेखा साबित हो सकता था। इससे न केवल ट्रैफिक जाम से राहत मिलती बल्कि डिग्री कॉलेज जाने वाले छात्र-छात्राओं और आम लोगों को भी आवागमन में बड़ी सुविधा होती। विधायक पार्वती दास ने कहा कि तकनीकी अड़चनों के बावजूद यह पुल जनहित के लिए बेहद जरूरी है। उन्होंने आश्वासन दिया कि इस विषय पर वह मुख्यमंत्री पुष्कर सिंह धामी से बात करेंगी, ताकि इस लंबे समय से लंबित परियोजना को हकीकत में बदला जा सके।

 

 

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