November 12, 2025
मैकेंजी ग्लोबल की रिपोर्ट, उत्तराखंड में 2032 तक बिजली की मांग में तेज वृद्धि का अनुमान..

मैकेंजी ग्लोबल की रिपोर्ट, उत्तराखंड में 2032 तक बिजली की मांग में तेज वृद्धि का अनुमान..

 

 

उत्तराखंड: उत्तराखंड में बिजली की मांग अगले सात वर्षों में लगभग दोगुनी होने की संभावना है। यह खुलासा अंतरराष्ट्रीय परामर्शदाता कंपनी मैकेंजी ग्लोबल की हालिया अध्ययन रिपोर्ट में किया गया है। रिपोर्ट के आधार पर अब राज्य सरकार और यूपीसीएल के स्तर पर बिजली उपलब्धता और आपूर्ति योजना बनाई जा रही है। प्रमुख सचिव ऊर्जा आर मीनाक्षी सुंदरम ने प्रदेश में बिजली की वर्तमान मांग, उपलब्धता और भविष्य की जरूरतों का विस्तृत अध्ययन कराने की जिम्मेदारी मैकेंजी ग्लोबल को सौंपी थी। कंपनी ने यूपीसीएल और अन्य ऊर्जा निगमों के डेटा के साथ-साथ कई राज्यों का तुलनात्मक अध्ययन करने के बाद रिपोर्ट तैयार की। मैकेंजी ग्लोबल की रिपोर्ट में कहा गया है कि उत्तराखंड में अगले सात वर्षों में बिजली की मांग तेज़ी से बढ़ेगी।

इसके चलते उपलब्ध ऊर्जा संसाधनों का विस्तार और नई पावर प्लांट योजनाओं पर ध्यान देना जरूरी है। इस रिपोर्ट को केंद्रीय विद्युत नियामक आयोग (सीईए) ने भी मान्यता दी है, जिससे स्पष्ट हो गया है कि राज्य में बिजली की मांग में दोगुनी वृद्धि का यथार्थ खतरा है। मैकेंजी ग्लोबल के विशेषज्ञों ने चेतावनी दी है कि यदि समय रहते ऊर्जा उत्पादन और वितरण के उपाय नहीं किए गए, तो आने वाले वर्षों में बिजली की कमी के कारण मांग के पुराने आंकड़े देखें तो वर्ष 2019 में 2216 मेगावाट, 2020 में 2233 मेगावाट, 2021 में 2372 मेगावाट, 2022 में 2468 मेगावाट, 2023 में 2594 मेगावाट, 2024 में 2635 मेगावाट और इस साल 2863 मेगावाट बिजली की मांग रही है। मैकेंजी ने माना है कि इसी क्रम में यह मांग लगातार बढ़ती जाएगी। अब इसके सापेक्ष उपलब्धता ही सरकार और यूपीसीएल के लिए सबसे बड़ी चुनौती है।

 

अभी 3308 मेगावाट के पीपीए..

यूपीसीएल के आंकड़ों के हिसाब से देखें तो अभी तक 3308 मेगावाट के पीपीए किए हुए हैं। इनमें कोयला संयंत्र से 533 मेगावाट, एटॉमिक 46 मेगावाट, गैस आधाारित 390 मेगावाट, बायोमास से 52 मेगावाट, हाइड्रो से 1970 मेगावाट, हाइब्रिड 100 मेगावाट और सोलर से 217 मेगावाट शामिल है। वहीं, टीएचडीसी के पंप स्टोरेज प्लांट से 200 मेगावाट बिजली मिलेगी। वर्ष 2029-30 तक बिजली की उपलब्धता 4218 मेगावाट करने की योजना है। इसके लिए कोयला आधारित संयंत्र से 26 मेगावाट, हाइड्रो से 438 मेगावाट, सोलर से 309 मेगावाट अतिरिक्त बिजली की उपलब्धता की जाएगी।

 

 

 

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