पतंजलि विश्वविद्यालय के दीक्षांत समारोह में राष्ट्रपति मुर्मु ने दी डिग्रियां, महिलाओं की भागीदारी रही सबसे अधिक..
उत्तराखंड: राष्ट्रपति द्रौपदी मुर्मु ने रविवार को पतंजलि विश्वविद्यालय के द्वितीय दीक्षांत समारोह में कहा कि आज का भारत एक “विकसित भारत” की ओर तेजी से बढ़ रहा है, जहां महिलाएं हर क्षेत्र में नेतृत्व की भूमिका निभा रही हैं। उन्होंने कहा कि यह परिवर्तन देश की सामाजिक सोच और शिक्षा प्रणाली के बदलते स्वरूप का प्रतीक है। राष्ट्रपति ने कहा कि पतंजलि विश्वविद्यालय का कार्य क्षेत्र योग, आयुर्वेद और प्राकृतिक चिकित्सा न केवल स्वास्थ्य और अध्यात्म के क्षेत्र में योगदान दे रहा है, बल्कि भारत-केंद्रित शिक्षा दृष्टि को भी मजबूत कर रहा है। उन्होंने विश्वविद्यालय की इस दिशा में की जा रही पहल की सराहना करते हुए कहा कि यह संस्थान भारत की प्राचीन परंपरा और आधुनिकता के बीच एक सेतु का कार्य कर रहा है। राष्ट्रपति मुर्मु ने विद्यार्थियों से आह्वान किया कि वे “वसुधैव कुटुंबकम्” की भावना को अपनाएं और वैश्विक नागरिक के रूप में समाज के सर्वांगीण विकास में योगदान दें। उन्होंने कहा कि शिक्षा का उद्देश्य केवल रोजगार पाना नहीं, बल्कि मानवता और समरसता के मूल्यों को अपनाना भी है। समारोह में राष्ट्रपति ने 1,454 विद्यार्थियों को उपाधि प्रदान की, जिनमें 64 प्रतिशत बेटियां शामिल थीं। इस अवसर पर राज्यपाल लेफ्टिनेंट जनरल गुरमीत सिंह (सेनि), सीएम पुष्कर सिंह धामी, स्वामी रामदेव और आचार्य बालकृष्ण भी उपस्थित रहे।
राष्ट्रपति द्रौपदी मुर्मु ने रविवार को पतंजलि विश्वविद्यालय के द्वितीय दीक्षांत समारोह में छात्रों को संबोधित करते हुए कहा कि आज भारत तेजी से विकसित राष्ट्र बनने की दिशा में आगे बढ़ रहा है और इस यात्रा में महिलाएं नेतृत्व की भूमिका निभा रही हैं। उन्होंने कहा कि विश्वविद्यालयों से निकलने वाली नई पीढ़ी ही भारत को “विकसित राष्ट्र” के रूप में स्थापित करने में निर्णायक भूमिका निभाएगी। राष्ट्रपति मुर्मु ने कहा कि इस वर्ष उपाधि प्राप्त करने वाले विद्यार्थियों में 64 प्रतिशत बेटियां हैं और स्वर्ण पदक प्राप्त करने वाली छात्राओं की संख्या छात्रों से चार गुना अधिक है। यह इस बात का प्रमाण है कि महिलाएं अब हर क्षेत्र में आगे बढ़कर समाज के परिवर्तन की धुरी बन रही हैं। उन्होंने पतंजलि विश्वविद्यालय की भारत-केंद्रित शिक्षा दृष्टि और योग, आयुर्वेद तथा प्राकृतिक चिकित्सा के क्षेत्र में दिए जा रहे योगदान की सराहना की। राष्ट्रपति ने कहा कि पतंजलि विश्वविद्यालय न केवल शिक्षा का केंद्र है, बल्कि यह भारत की प्राचीन ज्ञान परंपरा और आधुनिक वैज्ञानिक सोच का संगम भी है। राष्ट्रपति ने विद्यार्थियों से आह्वान किया कि वे जीवन में “वसुधैव कुटुंबकम्” की भावना को अपनाएं और विश्व को एक परिवार मानकर कार्य करें। उन्होंने कहा कि शिक्षा का उद्देश्य केवल नौकरी पाना नहीं, बल्कि मानवता, करुणा और सेवा की भावना को जीवन में उतारना है। राष्ट्रपति ने कहा कि जब हर विद्यार्थी अपने भीतर से भारतीय संस्कृति के आदर्शों को अपनाएगा, तभी हम ‘विकसित भारत 2047’ के संकल्प को साकार कर सकेंगे।
