कार्तिक पूर्णिमा के पावन पर्व पर हरिद्वार में लाखों श्रद्धालु जुटे, मां गंगा में लगाई मोक्षदायिनी डुबकी..
उत्तराखंड: धर्मनगरी हरिद्वार में आज कार्तिक पूर्णिमा के पावन अवसर पर आस्था और श्रद्धा का अनोखा संगम देखने को मिला। साल के अंतिम स्नान पर्व पर बुधवार तड़के से ही गंगा तटों पर श्रद्धालुओं की भारी भीड़ उमड़ पड़ी। सुबह 3:50 बजे स्नान का शुभ मुहूर्त शुरू होते ही हर की पैड़ी, कुशावर्त, भीमगोड़ा, चंडी घाट और रामघाट सहित तमाम गंगा घाटों पर श्रद्धालुओं ने पवित्र गंगा में आस्था की डुबकी लगाई। चारों दिशाओं में “हर हर गंगे” और “जय मां गंगे” के जयकारों से पूरा वातावरण भक्तिमय हो उठा। गंगा जल में स्नान कर भक्तों ने सुख-समृद्धि और मोक्ष की कामना की। माना जाता है कि कार्तिक पूर्णिमा के दिन गंगा स्नान से जीवन के सभी दोष मिट जाते हैं और सौभाग्य की प्राप्ति होती है। हरिद्वार में सुबह से ही गंगा घाटों पर जनसैलाब उमड़ा रहा। पुलिस और प्रशासन ने सुरक्षा के व्यापक इंतजाम किए। श्रद्धालुओं की भीड़ को नियंत्रित करने के लिए चप्पे-चप्पे पर सुरक्षाकर्मी तैनात रहे। भीड़ को देखते हुए यातायात व्यवस्था भी विशेष रूप से लागू की गई। स्नान के बाद श्रद्धालुओं ने हर की पैड़ी पर दीपदान कर मां गंगा का आशीर्वाद लिया। गंगा तट पर जलती दीपशिखाओं का नज़ारा देखते ही बन रहा था।
पूरा हरिद्वार दीपों की रोशनी और भक्ति भाव से आलोकित हो उठा। दूरदराज़ राज्यों से आए श्रद्धालु भी इस पावन स्नान में शामिल हुए। उत्तर प्रदेश, दिल्ली, हरियाणा, राजस्थान, बिहार, झारखंड और नेपाल से भी बड़ी संख्या में भक्त हरिद्वार पहुंचे। कई श्रद्धालुओं ने बताया कि वे हर साल कार्तिक पूर्णिमा पर यहां स्नान करने आते हैं और इसे अपने जीवन का सबसे पवित्र क्षण मानते हैं। प्रशासन के अनुसार दोपहर तक लाखों श्रद्धालु गंगा स्नान कर चुके थे और शाम तक यह संख्या और बढ़ने की संभावना है। गंगा तटों पर जगह-जगह भंडारे और धार्मिक अनुष्ठान भी आयोजित किए गए, जिनमें भक्तों ने बढ़-चढ़कर भाग लिया। कार्तिक पूर्णिमा का यह स्नान न केवल धार्मिक आस्था का प्रतीक है, बल्कि हरिद्वार की सांस्कृतिक और आध्यात्मिक धरोहर का जीवंत प्रदर्शन भी है। गंगा की लहरों के साथ बहती भक्ति और विश्वास की यह गाथा हर किसी के मन को श्रद्धा से भर रही है।
धर्मनगरी हरिद्वार में कार्तिक पूर्णिमा के पावन अवसर पर आस्था का ऐसा सैलाब उमड़ा, जिसने पूरी नगरी को भक्तिमय बना दिया। बुधवार तड़के से ही गंगा घाटों पर श्रद्धालुओं की भीड़ उमड़ पड़ी। सुबह 3:50 बजे से शुरू हुए गंगा स्नान का दौर दिनभर जारी रहा। हर की पैड़ी, कुशावर्त, भीमगोड़ा, चंडी घाट और रामघाट सहित सभी घाटों पर लाखों श्रद्धालुओं ने मां गंगा के पवित्र जल में डुबकी लगाकर सुख-समृद्धि और मोक्ष की कामना की। चारों ओर “हर हर गंगे” और “जय मां गंगे” के जयकारों से वातावरण गुंजायमान हो उठा। गंगा तटों पर जलते हजारों दीपों की रोशनी और प्रवाहित धारा का मनमोहक दृश्य देखने वाला था। श्रद्धालुओं ने दीपदान कर अपने परिवार की खुशहाली, स्वास्थ्य और कल्याण की प्रार्थना की। कार्तिक पूर्णिमा के इस पावन पर्व पर भगवान विष्णु और मां गंगा की विशेष पूजा-अर्चना की गई।
नारायण शिला मंदिर के मुख्य पुजारी पंडित मनोज त्रिपाठी ने बताया कि पौराणिक मान्यता के अनुसार इसी दिन भगवान शिव ने त्रिपुरासुर नामक राक्षस का वध किया था। इसी कारण देवताओं ने पवित्र नदियों में स्नान और दान का विधान आरंभ किया, जो आज भी आस्था के रूप में कायम है। भीड़ को देखते हुए प्रशासन ने सुरक्षा और व्यवस्थाओं के कड़े इंतजाम किए। पूरे मेला क्षेत्र को 11 ज़ोन और 36 सेक्टर में बांटकर पुलिस बलों को तैनात किया गया है। एसडीआरएफ, एनडीआरएफ, जल पुलिस और फ्लड रेस्क्यू टीमें लगातार घाटों पर निगरानी रख रही हैं। ड्रोन कैमरों और अतिरिक्त सीसीटीवी कैमरों से हर गतिविधि पर नजर रखी जा रही है। पुलिस प्रशासन ने श्रद्धालुओं से शांति और अनुशासन बनाए रखने की अपील की है। यातायात को नियंत्रित करने के लिए कई मार्गों पर विशेष रूट डायवर्जन लागू किया गया है। सांझ होते ही गंगा तटों पर दीपदान के साथ आस्था का आलोकित दृश्य देखते ही बन रहा था। भक्तों ने गंगा आरती में शामिल होकर जीवन में सुख-शांति और समृद्धि की प्रार्थना की। पूरा हरिद्वार भक्ति, श्रद्धा और प्रकाश से जगमगा उठा मानो स्वर्ग धरती पर उतर आया हो।
ट्रैफिक प्रबंधन के लिए रूट डायवर्जन और चेकिंग की व्यवस्था की गई है, ताकि श्रद्धालुओं को किसी प्रकार की परेशानी न हो। प्रशासन की मुस्तैदी और समन्वय के चलते पूरा पर्व शांतिपूर्ण और सफलतापूर्वक संपन्न हो रहा है। उम्मीद यही जताई जा रही है कि शाम तक 30 लाख से अधिक श्रद्धालु गंगा में डुबकी लगा लेंगे। गंगा स्नान को देखते हुए हरिद्वार आने वाली सड़कों के रूट को भी परिवर्तित किया गया है। नेशनल हाईवे पर जाम ना लगे, इसके लिए भी अलग से इंतजाम किए गए हैं। मंगलवार रात से ही हर की पैड़ी पर देव दीपावली का आयोजन भी किया गया था, जिसमें लाखों दीपक रंग बिरंगी छटा लिए जगमगाते दिखे। आतिशबाजी से हर की पैड़ी का नजारा देखते ही बन रहा था। कार्तिक पूर्णिमा के स्नान के बाद अब सीधे बैसाखी मकर संक्रांति जैसे बड़े स्नान साल 2026 में होंगे। लिहाजा श्रद्धालु कार्तिक पूर्णिमा के इस पावन अवसर पर डुबकी लगाकर मोक्ष की कामना कर रहे हैं।
