आपदा प्रबंधन सम्मेलन, देहरादून घोषणा पत्र जारी, हिमालय में अंतरराष्ट्रीय स्तर का केंद्र स्थापित करने का प्रस्ताव..

आपदा प्रबंधन सम्मेलन, देहरादून घोषणा पत्र जारी, हिमालय में अंतरराष्ट्रीय स्तर का केंद्र स्थापित करने का प्रस्ताव..

 

 

 

उत्तराखंड: देहरादून में आयोजित विश्व आपदा प्रबंधन सम्मेलन-2025 में विशेषज्ञों और प्रमुख संस्थाओं के प्रतिनिधियों ने आपदा जोखिम को कम करने के लिए ‘देहरादून घोषणा पत्र’ जारी किया है। इस घोषणा पत्र में हिमालय क्षेत्र में आपदा के दृष्टिगत अंतरराष्ट्रीय स्तर पर एक सेंटर स्थापित करने की संस्तुति की गई है। सम्मेलन में यह स्वीकार किया गया कि प्राकृतिक और मानवजनित आपदाओं की चुनौती और जटिलता लगातार बढ़ रही है। ऐसे परिदृश्य में आपदा जोखिम को कम करने के लिए विश्व के सभी हितधारक, देशों, संस्थाओं और वैज्ञानिकों को एक समन्वित और संयुक्त प्रयास के साथ काम करना होगा। इसके साथ ही समुदायों की आवाज और परंपरागत ज्ञान को भी अधिक महत्व देने की आवश्यकता पर जोर दिया गया। सम्मेलन के दौरान कई महत्वपूर्ण अनुशंसाएं भी पेश की गईं।

इनमें आपदा तैयारी, आपदा चेतावनी प्रणाली, आपदा प्रबंधन में तकनीकी नवाचार, जोखिम का आकलन और राहत-सहायता प्रक्रिया को मजबूत बनाने के उपाय शामिल हैं। विशेषज्ञों ने कहा कि भविष्य में आपदा प्रबंधन को केवल सरकार या संस्थाओं तक सीमित नहीं रखना चाहिए, बल्कि सामुदायिक सहभागिता को भी केंद्र में रखा जाना चाहिए। देहरादून घोषणा पत्र में यह भी कहा गया कि हिमालय जैसे संवेदनशील भौगोलिक क्षेत्रों में आपदा प्रबंधन के लिए वैश्विक सहयोग और अनुसंधान केंद्र की स्थापना आवश्यक है। यह केंद्र न केवल आपदा पूर्व चेतावनी और त्वरित प्रतिक्रिया को सक्षम बनाएगा, बल्कि आपदा जोखिम न्यूनीकरण के लिए वैश्विक स्तर पर ज्ञान और संसाधनों का आदान-प्रदान भी करेगा। सम्मेलन के आयोजकों ने उम्मीद जताई कि इन अनुशंसाओं को अपनाने से आपदा जोखिम कम होगा, आपदा प्रबंधन प्रणाली मजबूत होगी और प्रभावित समुदायों की सुरक्षा सुनिश्चित होगी।

विश्व आपदा प्रबंधन विशेषज्ञों का मानना है कि प्राकृतिक और मानवजनित आपदाओं की जटिलता बढ़ती जा रही है, ऐसे में सहयोग, समन्वय और तकनीकी ज्ञान की भूमिका पहले से कहीं अधिक महत्वपूर्ण हो गई है। आपदा जोखिम को कम करने और समय पर प्रतिक्रिया सुनिश्चित करने के लिए पूर्व चेतावनी प्रणाली की क्षमता बढ़ाना और सूचनाओं का प्रभावी आदान-प्रदान करना आवश्यक है। विशेषज्ञों ने सुझाव दिया है कि हिमालय जैसे संवेदनशील क्षेत्र में अंतरराष्ट्रीय स्तर का केंद्र स्थापित किया जाना चाहिए। इस केंद्र का उद्देश्य आपदा न्यूनीकरण, भविष्य में उत्पन्न होने वाली चुनौतियों से निपटने के लिए ज्ञान, अनुभव और उभरती प्रौद्योगिकियों का आदान-प्रदान करना होगा। इसके साथ ही समुदायों को सशक्त बनाना भी अत्यंत आवश्यक है।

केंद्र में आपदा योद्धा बनाने के लिए सामुदायिक जागरूकता और प्रशिक्षण कार्यक्रम संचालित किए जाने चाहिए। इन प्रशिक्षण कार्यक्रमों में स्थानीय भाषा और परंपरागत ज्ञान को शामिल किया जाना आवश्यक बताया गया है, ताकि ग्रामीण और पर्वतीय समुदायों में आपदा प्रबंधन की समझ मजबूत हो। विशेषज्ञों ने यह भी जोर दिया कि आपदा जोखिम कम करने के लिए नवाचार और क्षेत्रीय श्रेष्ठ मॉडल, जैसे सिक्किम मॉडल, को बढ़ावा दिया जाए। इस तरह की पद्धतियों से न केवल आपदा पूर्व तैयारी बेहतर होगी, बल्कि आपदा के समय त्वरित और प्रभावी प्रतिक्रिया भी सुनिश्चित होगी। सम्मेलन में यह स्पष्ट किया गया कि हिमालय में आपदा प्रबंधन के लिए वैश्विक स्तर पर ज्ञान साझा करना और स्थानीय समुदायों को प्रशिक्षित करना, दोनों ही आवश्यक हैं। विशेषज्ञों का मानना है कि इन प्रयासों से आपदा जोखिम को कम किया जा सकता है और प्रभावित समुदायों की सुरक्षा सुनिश्चित की जा सकती है।

 

 

 

 

About The Author

Leave a Reply

Your email address will not be published. Required fields are marked *