समान वेतन और नियमितीकरण, उपनल कर्मचारियों के मुद्दे पर सरकार की बड़ी तैयारी..
उत्तराखंड: उत्तराखंड सरकार में संविदा और उपनल कर्मचारियों के नियमितीकरण और समान काम का समान वेतन पर विचार जारी है। हाल ही में मंत्रिमंडल की उप समिति की बैठक में इस मुद्दे को विस्तार से चर्चा के लिए रखा गया और विभिन्न बिंदुओं पर चर्चा के बाद समिति के सदस्यों ने अपने विचार साझा किए।प्रदेश में पहले संविदा कर्मचारियों को नियमित करने के आदेश जारी किए गए थे, लेकिन सरकार के लिए यह मुद्दा अभी भी चर्चा का विषय बना हुआ है। वर्तमान आदेश के अनुसार, 2018 तक सेवा करने वाले संविदा कर्मचारियों को ही दस साल की सेवा पूरी होने पर नियमित किया जाएगा। इसके बाद से जुड़े संविदा कर्मचारियों के नियमितीकरण का मामला अब फिर से सरकार के समक्ष विचाराधीन है। मंत्रिमंडलीय उप समिति कट-ऑफ डेट को आगे बढ़ाने और नए संविदा कर्मचारियों के नियमितीकरण की संभावनाओं पर विचार कर रही है। अधिकारियों ने बताया कि समिति का उद्देश्य यह सुनिश्चित करना है कि संविदा और उपनल कर्मचारियों के समान कार्य के लिए समान वेतन की दिशा में ठोस निर्णय लिया जा सके। समिति की इस पहल से संविदा और उपनल कर्मचारियों में उम्मीद जगी है कि आने वाले समय में उनकी सेवाओं का उचित मूल्यांकन होगा और लंबे समय से लंबित नियमितीकरण का मामला हल होगा।
सरकार ने संविदा कर्मचारियों के नियमितीकरण के साथ-साथ उपनल कर्मचारियों के समान काम के लिए समान वेतन पर भी गंभीरता से विचार शुरू कर दिया है। इस विषय पर मंत्रिमंडलीय उप समिति ने हाल ही में विस्तार से चर्चा की और विभिन्न प्रस्तावों पर अपने विचार साझा किए। समिति की अध्यक्षता कैबिनेट मंत्री सुबोध उनियाल कर रहे हैं, जबकि सदस्य के रूप में मंत्री सौरभ बहुगुणा भी शामिल हैं। अधिकारियों ने कहा कि उपनल कर्मचारियों को लेकर चर्चा का मुख्य बिंदु यह है कि समान काम के लिए समान वेतन की थ्योरी लागू की जाए और इसके लिए आवश्यक दिशा-निर्देश तैयार किए जाएँ। सीएम पहले ही चरणबद्ध तरीके से उपनल कर्मचारियों को समान वेतन देने और 12 साल की सेवा पूरी करने वालों को इसका लाभ देने की बात कह चुके हैं। लेकिन मंत्रिमंडलीय उप समिति इस पर विचार कर रही है कि 10 साल की सेवा पूरी करने वाले कर्मचारियों को भी समान लाभ दिया जा सके। समिति के इस कदम से उपनल कर्मचारियों में उम्मीद जगी है कि उनके अधिकार और सेवा शर्तों में सुधार जल्द किया जाएगा। अधिकारियों का कहना है कि सरकार संविदा और उपनल कर्मचारियों दोनों के लिए नियमितीकरण और समान वेतन नीति को लागू करने की दिशा में ठोस निर्णय लेने के लिए गंभीर है।
वर्ष 2018 में राज्य हाईकोर्ट ने उपनल कर्मचारियों को नियमित करने के लिए आदेश जारी किए थे, लेकिन सरकार ने इन आदेशों के खिलाफ सुप्रीम कोर्ट का दरवाजा खटखटाया। सर्वोच्च न्यायालय ने इस अपील को खारिज कर दिया, जिससे सरकार पर कर्मचारियों के मुद्दे पर निर्णय लेने का दबाव और बढ़ गया। जानकारी के अनुसार उपनल कर्मचारियों ने सरकार के खिलाफ अवमानना याचिका भी दायर की हुई है। इसके बाद सरकार ने सुप्रीम कोर्ट के आदेश के क्रम में मंत्रिमंडलीय उप समिति का गठन किया, जो उपनल कर्मचारियों के नियमितीकरण और समान काम के लिए समान वेतन नीति पर विचार कर रही है।हालांकि, हाईकोर्ट ने 2018 में इन कर्मचारियों के नियमितीकरण के लिए नियमावली बनाने के निर्देश दिए थे, लेकिन सरकार अब तक इस दिशा में ठोस निर्णय नहीं ले पाई। वर्तमान में उपनल कर्मचारियों के लिए सरकार समान काम के बदले समान वेतन देने की ही स्थिति में दिखाई दे रही है। मंत्रिमंडलीय उप समिति के सदस्य इस मामले पर विचार कर रहे हैं कि कौन से कर्मचारियों को लाभ मिले और कितनी सेवा पूरी करने पर इसका लाभ लागू हो।
अधिकारियों का कहना है कि समिति का उद्देश्य कर्मचारियों के अधिकारों को सुनिश्चित करना और उनके हितों की रक्षा करना है, ताकि लंबे समय से लंबित मुद्दों का समाधान किया जा सके। इस कदम से उपनल कर्मचारियों में उम्मीद जगी है कि जल्द ही समान वेतन और नियमितीकरण से जुड़े मसलों पर अंतिम निर्णय हो सकता है। इस मामले पर कैबिनेट मंत्री सुबोध उनियाल ने कहा कि कोर्ट के आदेश पर मंत्रिमंडलीय समिति चर्चा कर रही है और यह समिति केवल अपनी सिफारिश ही दे सकती है, जिसके लिए अभी मंथन किया जा रहा है। इसके बाद अंतिम निर्णय पर पहुंचने के बाद समिति द्वारा सरकार को अपनी सिफारिश दी जाएगी।उत्तराखंड कुल मिलाकर संविदा कर्मचारियों को नियमित करने के आदेश के बाद 2018 की कट ऑफ डेट पर फिर से विचार हो रहा है और माना जा रहा है कि इसे 2024 तक बढ़ाया जा सकता है। यानी 2024 तक वाले कर्मियों को इसका लाभ दिया जा सकता है। उधर उपनल कर्मचारियों पर नियमितीकरण की जगह समान वेतन को चर्चा में रखा गया है और माना जा रहा है कि 2014 तक के कर्मियों को पहले चरण में इसका लाभ मिल सकता है।
