उत्तराखंड में पार्किंग संकट खत्म करने बड़े प्रोजेक्ट्स की योजना, टनल पार्किंग मॉडल पहली बार लागू..
उत्तराखंड: राज्य में पर्यटन और तीर्थयात्रा के लगातार बढ़ते दबाव को देखते हुए उत्तराखंड सरकार ने 191 नए पार्किंग प्रोजेक्ट्स शुरू करने की योजना बनाई है। लंबे समय से मौसमी नहीं रह चुकी पार्किंग की समस्या अब पूरे वर्ष बनी रहती है और हर साल लगभग 11 करोड़ पर्यटक आने के कारण यह चुनौती और बढ़ गई है। पिछले दस वर्षों में राज्य में पार्किंग सुविधाओं की संख्या 20 से बढ़कर 49 हुई है, लेकिन बढ़ते यातायात और पर्यटन के लिहाज से यह संख्या पर्याप्त नहीं मानी जा रही है। इन परियोजनाओं में सबसे खास पहल है टनल पार्किंग मॉडल, जो प्रदेश में पहली बार लागू किया जा रहा है। सरकारी अधिकारियों के अनुसार प्रस्तावित सभी पार्किंग परियोजनाओं के पूरा होने के बाद राज्य में एक साथ 16,000 से अधिक वाहनों के लिए पार्किंग सुविधा उपलब्ध होगी। राज्य का आवास विभाग इन परियोजनाओं को तेजी से आगे बढ़ा रहा है और परियोजनाओं की विविधता पर विशेष ध्यान दिया जा रहा है। 191 प्रस्तावित पार्किंग स्थलों में शामिल हैं, 65 सतही (Surface) पार्किंग, 107 मल्टी-लेवल, 9 ऑटोमेटेड और 10 टनल पार्किंग प्रोजेक्ट्स। अधिकारियों का कहना है कि इन परियोजनाओं से न केवल पर्यटकों की सुविधा बढ़ेगी, बल्कि शहरों में ट्रैफिक जाम और पार्किंग की समस्या भी काफी हद तक कम हो जाएगी।सरकार की इस पहल को पर्यटन और स्थानीय व्यवसायों के लिए भी बड़े लाभदायक कदम के रूप में देखा जा रहा है।
स्थानों का चयन, डीपीआर तैयार
मीडिया रिपोर्ट के अनुसार इन परियोजनाओं के लिए स्थानों का चयन कर लिया गया है और 141 पार्किंग साइट्स की डीपीआर (विस्तृत परियोजना रिपोर्ट) तैयार हो चुकी है। सरकारी अधिकारियों ने कहा कि 112 परियोजनाओं के लिए 1,73,34,00,000 रुपये का बजट जारी कर दिया गया है और इन पर काम शुरू भी हो चुका है। उत्तराखंड हाउसिंग एवं अर्बन डेवलपमेंट अथॉरिटी के संयुक्त मुख्य प्रशासक डी.पी. सिंह ने कहा कि राज्य सरकार विशेष रूप से पर्वतीय क्षेत्रों में पार्किंग की समस्या को हल करने के लिए टनल पार्किंग मॉडल की ओर बढ़ रही है। डी.पी. सिंह ने कहा कि इन टनलों को इस तरह विकसित किया जाएगा कि वाहन सड़क के एक सिरे से प्रवेश करें और दूसरे सिरे से पुनः सड़क पर निकल जाएं, जिससे ट्रैफिक जाम और पार्किंग की समस्या दोनों में सुधार होगा। उन्होंने कहा कि यह मॉडल प्रदेश में पहली बार लागू किया जा रहा है और इसके पूरा होने पर पर्यटकों तथा स्थानीय नागरिकों की पार्किंग संबंधी समस्याओं में काफी कमी आएगी। इस योजना के पूरा होने के बाद राज्य में सभी प्रस्तावित पार्किंग स्थलों की क्षमता मिलाकर 16,000 से अधिक वाहनों के लिए होगी। अधिकारियों का कहना है कि सतही, मल्टी-लेवल, ऑटोमेटेड और टनल पार्किंग के मिश्रित मॉडल से शहरों और पर्यटन स्थलों में पार्किंग की समस्या काफी हद तक हल हो जाएगी। सरकार की इस पहल को न केवल पर्यटकों की सुविधा बढ़ाने के लिए अहम कदम माना जा रहा है, बल्कि स्थानीय व्यापार और पर्वतीय पर्यटन उद्योग को भी इससे बड़ा लाभ मिलने की उम्मीद है।
मसूरी-देहरादून में स्मार्ट पार्किंग
मसूरी-देहरादून विकास प्राधिकरण शहर के सात प्रमुख स्थानों आईएसबीटी, घंटाघर (पटेल प्रतिमा), यूनिवर्सल पेट्रोल पंप, मोडा एलीमेंट, एशले हॉल, ब्लैक बर्ड (क्रॉस रोड), और गांधी पार्क पर ऑन-स्ट्रीट और ऑफ-स्ट्रीट स्मार्ट पार्किंग विकसित कर रहा है। इनमे से कई प्रोजेक्ट पूरे हो चुके हैं। जिला विकास प्राधिकरण, नैनीताल ने सुखाताल में नैनीताल-कालाढूंगी मोटर मार्ग पर 108 वाहनों की क्षमता वाला सतही पार्किंग स्थल बनाया है। श्रीकैंची धाम तहसील क्षेत्र में 70 वाहनों की क्षमता वाली पार्किंग सुविधा का निर्माण भी पूरा हो चुका है। कुल नौ ऑटोमेटेड पार्किंग सुविधाएं बनाई जाएंगी। दो चमोली में, पांच हरिद्वार में, एक नैनीताल में और एक पिथौरागढ़ में। टनल पार्किंग कुल 10 स्थानों पर बनेगी- एक बागेश्वर में, दो नैनीताल में, एक पौड़ी में, एक रुद्रप्रयाग में, तीन टिहरी में और दो उत्तरकाशी में।
