स्वदेशी महोत्सव की शुरुआत, देहरादून में महिला उद्यमियों को सम्मानित किया गया..
उत्तराखंड: परेड ग्राउंड में आयोजित स्वदेशी महोत्सव उत्तराखंड विकास प्रदर्शनी में सोमवार को महिला सम्मेलन का भव्य आयोजन किया गया। कार्यक्रम का उद्घाटन मुख्य अतिथि कैबिनेट मंत्री रेखा आर्या ने किया। इस मौके पर उन्होंने विभिन्न जिलों से आई महिला उद्यमियों को उनके उत्कृष्ट कार्य और स्थानीय स्तर पर रोजगार सृजन में योगदान के लिए सम्मानित किया। स्वदेशी महोत्सव में उत्तराखंड के विभिन्न हिस्सों में स्वरोजगार, हस्तशिल्प, स्थानीय उत्पादों और पारंपरिक कला के क्षेत्र में काम कर रही महिलाओं द्वारा अपनी-अपनी प्रदर्शनियां भी लगाई गईं। यहां प्रदर्शित उत्पादों ने स्थानीय महिलाओं की रचनात्मकता, कौशल और उद्यमिता को एक मंच पर लाकर सबके सामने पेश किया। कार्यक्रम का आयोजन स्मृति विकास संस्थान द्वारा किया गया। सम्मेलन को संबोधित करते हुए मंत्री रेखा आर्या ने कहा कि महिलाएं न केवल परिवार और समाज की धुरी हैं, बल्कि स्वदेशी अभियान की असली शक्ति और आधार भी हैं।
उन्होंने कहा कि उत्तराखंड की महिलाओं द्वारा बनाए गए उत्पाद आज देश-विदेश के बाजारों में अपनी अलग पहचान बना रहे हैं, जो राज्य की अर्थव्यवस्था और सांस्कृतिक पहचान दोनों को मजबूत करते हैं। कहा कि स्वदेशी भावना को केवल उत्सवों या आयोजनों तक सीमित नहीं रखना चाहिए, बल्कि इसे रोजमर्रा के व्यवहार, खरीदारी और जीवनशैली का हिस्सा बनाना होगा। तभी देश सच्चे अर्थों में स्वदेशी आंदोलन को आगे बढ़ा पाएगा। उन्होंने लोगों से स्थानीय उत्पादों को प्रोत्साहित करने, घरेलू उद्योगों को बढ़ावा देने और महिला उद्यमियों के प्रयासों की सराहना करने की अपील की। प्रदर्शनी में विभिन्न विभागों, स्वैच्छिक संस्थाओं और स्वयं सहायता समूहों की महिलाओं ने भी उत्साहपूर्वक भाग लिया। आयोजन स्थल पर बड़ी संख्या में लोग पहुंचे और महिलाओं द्वारा बनाए गए उत्पादों में खास दिलचस्पी दिखाई।
कैबिनेट मंत्री रेखा आर्या ने कहा कि भारत को 2047 तक विकसित राष्ट्र बनाने के लिए स्वदेशी उत्पादों और स्थानीय कौशल की सबसे बड़ी भूमिका रहने वाली है। उन्होंने यह बात हाल ही में आयोजित कार्यक्रम में कही, जिसमें स्वदेशी आंदोलन और स्थानीय उद्यमिता पर विशेष जोर दिया गया। मंत्री ने कहा कि एक समय में स्वदेशी आंदोलन ने हमारे देश को स्वतंत्रता दिलाने में महत्वपूर्ण योगदान दिया था। आज उसी आंदोलन की भावना को फिर से मजबूत करने की जरूरत है ताकि देश की आजादी और आर्थिक आत्मनिर्भरता दोनों को सुरक्षित और स्थायी बनाया जा सके। उन्होंने कहा कि स्वदेशी के भाव को अपने जीवन और रोजमर्रा के व्यवहार में शामिल करना अब हमारी जिम्मेदारी है, तभी हम भारत को सच्चे अर्थों में आत्मनिर्भर और विकसित राष्ट्र बना पाएंगे। रेखा आर्या ने कहा कि स्थानीय उत्पादों और कौशल को बढ़ावा देना न केवल रोजगार और ग्रामीण अर्थव्यवस्था को सशक्त बनाएगा, बल्कि युवा पीढ़ी में उद्यमिता की भावना को भी प्रोत्साहित करेगा। उनका कहना था कि स्वदेशी अपनाने से न सिर्फ उत्पादों की गुणवत्ता और पहचान बढ़ेगी, बल्कि यह देश के आर्थिक विकास और सांस्कृतिक संरक्षण में भी योगदान देगा। कार्यक्रम में प्रदेश के कई उद्यमी, महिला समूह और युवा उद्यमियों ने भाग लिया। सभी ने मंत्री के विचारों का स्वागत किया और स्वदेशी उत्पादों तथा कौशल को बढ़ावा देने के लिए अपनी प्रतिबद्धता जताई।
संस्कृति, साहित्य एवं कला परिषद की उपाध्यक्ष मधु भट्ट ने कहा कि स्वदेशी की अलख को गांव से लेकर शहरों तक फैलाना हमारी जिम्मेदारी है, और इस दिशा में राज्य सरकार भी बेहद कुशलतापूर्वक कार्य कर रही है। उन्होंने कहा कि अपनी संस्कृति, बोली और स्थानीय परंपराओं को अपने रोजमर्रा के व्यवहार में अपनाना अत्यंत आवश्यक है, ताकि आने वाली पीढ़ी भी इस स्वदेशी भावना से प्रेरित हो और स्थानीय उत्पादों तथा कला की ओर आकर्षित हो। इस अवसर पर आत्मनिर्भर भारत संकल्प अभियान के तहत स्वयं के प्रयासों से उद्यमिता में उत्कृष्ट योगदान देने वाली महिलाओं को महिला उद्यमी सम्मान से सम्मानित किया गया। इस सम्मान से नवाजी गईं महिला उद्यमियों में पूनम शर्मा, सरिता बहुगुणा, निर्मला देवी, शिवानी थापा, नीता कांडपाल, कमला रावत और नलिनी गोसाईं शामिल थीं।
मंत्री ने उनके प्रयासों की सराहना करते हुए कहा कि यह न केवल महिला सशक्तिकरण का प्रतीक है, बल्कि स्वदेशी उत्पादों और स्थानीय उद्यमिता को बढ़ावा देने में भी महत्वपूर्ण भूमिका निभाता है। उत्तराखंड विकास प्रदर्शनी 8 से 14 दिसंबर तक आयोजित की जा रही है। प्रदर्शनी के तीसरे दिन भी वोकल फॉर लोकल को बढ़ावा देने के उद्देश्य से लगाए गए स्वदेशी और पहाड़ी उत्पादों के स्टॉल लोगों का आकर्षण का केंद्र बने रहे। यहां उत्तराखंड के विभिन्न जिलों से आई महिलाएं और युवा अपने उत्पादों को प्रदर्शित कर रहे हैं, जिससे स्थानीय अर्थव्यवस्था और स्वरोजगार को बढ़ावा मिल रहा है। मधु भट्ट ने कहा कि स्वदेशी उत्पादों को अपनाना केवल एक अभियान नहीं, बल्कि हमारी सांस्कृतिक पहचान और आर्थिक आत्मनिर्भरता की दिशा में महत्वपूर्ण कदम है। उन्होंने लोगों से अपील की कि वे स्थानीय उत्पादों को प्राथमिकता दें और अपने जीवन में स्वदेशी भाव को शामिल करें।
