डीएम रुद्रप्रयाग ने स्कूल व आंगनबाड़ी केंद्रों के संचालन समय में संशोधन किया..

डीएम रुद्रप्रयाग ने स्कूल व आंगनबाड़ी केंद्रों के संचालन समय में संशोधन किया..

 

 

उत्तराखंड: रुद्रप्रयाग जिले में बढ़ती मानव-वन्यजीव गतिविधियों को देखते हुए जिला प्रशासन ने स्कूलों और आंगनबाड़ी केंद्रों के समय में जारी आदेश का कड़ाई से पालन सुनिश्चित करने के निर्देश दिए हैं। जिला प्रशासन के अनुसार रात की अवधि बढ़ने से वन्यजीव अपनी गतिविधियां समय से पहले शुरू कर रहे हैं, जिससे मानव और वन्यजीवों के बीच संघर्ष की घटनाओं की संभावना बढ़ गई है। जिले के कई मार्ग, जो विद्यालयों और आंगनबाड़ियों तक पहुँचते हैं, वन क्षेत्र से होकर गुजरते हैं, जिससे छोटे बच्चों, विद्यार्थियों, शिक्षकों और अभिभावकों की सुरक्षा पर जोखिम उत्पन्न हो सकता है। इसको देखते हुए रुद्रप्रयाग जिलाधिकारी प्रतीक जैन ने निर्देश दिया है कि जिले के सभी शासकीय, अर्ध-शासकीय और गैर-शासकीय विद्यालयों एवं आंगनबाड़ी केंद्रों में दिसंबर 2025 के अंत तक पठन-पाठन कार्य सुबह 9:15 बजे से पहले और दोपहर 3 बजे के बाद संचालित नहीं किया जाएगा। यह आदेश तत्काल प्रभाव से लागू कर दिया गया है। जिला प्रशासन ने अभिभावकों और शिक्षकों से भी सतर्क रहने और बच्चों की सुरक्षा सुनिश्चित करने का आग्रह किया है।

डीएम प्रतीक जैन ने मुख्य शिक्षा अधिकारी और जिला कार्यक्रम अधिकारी/बाल विकास अधिकारी को निर्देशित किया है कि वे अपने अधीनस्थ समस्त विद्यालयों और आंगनबाड़ी केंद्रों में इस आदेश का पालन अनिवार्य कराएं। जिला प्रशासन ने स्पष्ट किया है कि आदेश की अवहेलना करने वाले किसी भी विद्यालय या आंगनबाड़ी केंद्र के खिलाफ आपदा प्रबंधन अधिनियम-2005 के तहत कार्रवाई की जाएगी। जिले में भालू की गतिविधियां लगातार बढ़ रही हैं, जिससे ग्रामीण क्षेत्रों में भय का माहौल है। इसी कड़ी में मंगलवार सुबह चिनग्वाड़ ग्रामसभा के लाटधार तोक में स्कूल जा रहे छात्र प्रियांशु और सचिन अपने परिजनों के साथ अचानक भालू को देख घर लौट आए। घटना सुबह करीब 8 बजे हुई, जब छात्र राजकीय इंटर कॉलेज पीड़ा जा रहे थे और रास्ते में पेड़ पर भालू दिखाई दिया। शोर मचाने के बाद भालू उनकी ओर बढ़ा, जिससे छात्र घबराकर सुरक्षित घर लौट गए। इस घटना के बाद गांव में डर का माहौल कायम है, और प्रशासन ने अभिभावकों और ग्रामीणों से सतर्क रहने का आग्रह किया है।

ग्रामीणों का कहना है कि रोजाना महिलाएं बच्चों को स्कूल भेजने के लिए उनके साथ निकलती हैं और भालू की गतिविधियों को देखते हुए थाली बजाकर, शोर मचाकर मार्ग तय किया जाता है। इसके बावजूद भालू क्षेत्र में सक्रिय है। लाटधार के तीन छात्र, जो राजकीय इंटर कॉलेज पीड़ा में पढ़ते हैं, हाल ही की घटना के बाद स्कूल नहीं जा सके। ग्राम प्रधान दीपक बिष्ट ने बताया कि भालू से संबंधित घटनाएं लगातार बढ़ रही हैं। बच्चों की सुरक्षा सुनिश्चित करने के लिए उन्होंने वन विभाग से क्षेत्र में विशेष निगरानी और गश्त बढ़ाने की मांग की है। साथ ही, जिला प्रशासन से बच्चों के सुरक्षित आवागमन के लिए वाहन व्यवस्था उपलब्ध कराने का भी आग्रह किया। जिला पंचायत सदस्य पवन कुमार ने भी प्रशासन से जल्द ठोस कदम उठाने की मांग की। उन्होंने कहा कि उनके क्षेत्र के कई गांव ऐसे हैं, जहां बच्चे असुरक्षित परिस्थितियों में दूर-दराज स्थित स्कूलों तक पहुंचने को मजबूर हैं। स्थानीय प्रशासन और वन विभाग ने इस संबंध में सतर्क रहने और स्थिति पर लगातार निगरानी रखने का आश्वासन दिया है।

 

 

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