उत्तराखंड के 90 हजार सर्विस मतदाताओं के लिए जरूरी फैसला, दो जगह वोट से बचें..
उत्तराखंड: उत्तराखंड में चुनाव आयोग के विशेष गहन पुनरीक्षण (एसआईआर) की शुरुआत से पहले करीब 90 हजार मतदाताओं को महत्वपूर्ण निर्णय लेना होगा। इन मतदाताओं को यह तय करना होगा कि वे बतौर सर्विस मतदाता बने रहेंगे या अपने गांव की मतदाता सूची में नाम दर्ज कराएंगे। दोनों में से केवल एक विकल्प ही मान्य होगा। इसके साथ ही वे सामान्य मतदाता, जिनके नाम शहर और गांव दोनों जगह की मतदाता सूचियों में दर्ज हैं, उन्हें भी एक स्थान से अपना नाम कटवाना अनिवार्य होगा। प्रदेश में मुख्य निर्वाचन अधिकारी कार्यालय द्वारा फिलहाल प्री-एसआईआर गतिविधियों के तहत मतदाताओं की मैपिंग का कार्य किया जा रहा है। इसका उद्देश्य मतदाता सूची को शुद्ध और अद्यतन करना है, ताकि चुनाव प्रक्रिया पारदर्शी और त्रुटिरहित रह सके। एक जनवरी 2025 को जारी मतदाता आंकड़ों के अनुसार प्रदेश में कुल 89,812 सर्विस मतदाता पंजीकृत हैं। इनमें 87,103 पुरुष और 2,709 महिला मतदाता शामिल हैं। ये वे मतदाता हैं जो वर्तमान में सेना या अर्द्धसैनिक बलों में सेवाएं दे रहे हैं और जिनका नाम सेवा के दौरान ही सर्विस मतदाता के रूप में दर्ज किया गया है।
चुनाव आयोग की इस कवायद का मुख्य उद्देश्य “एक व्यक्ति, एक वोट” के सिद्धांत को सख्ती से लागू करना है। एसआईआर के दौरान दोहरी प्रविष्टियों को हटाया जाएगा, ताकि मतदाता सूची पूरी तरह शुद्ध और विश्वसनीय बन सके। चुनाव आयोग की ओर से संबंधित मतदाताओं से अपील की गई है कि वे समय रहते अपना विकल्प चुनें, जिससे आगामी चुनावी प्रक्रिया में किसी तरह की असुविधा न हो।
उत्तराखंड में विशेष गहन पुनरीक्षण (एसआईआर) शुरू होने से पहले निर्वाचन कार्यालय ने सभी सर्विस मतदाताओं से अपील की है कि वे राज्य के भीतर या सर्विस मतदाता के रूप में अपना वोट चुनें और दूसरे को हटवाएं। यदि कोई सर्विस मतदाता बनकर गांव या शहर का वोट रखना चाहता है, तो उसे चुनाव आयोग की वेबसाइटhttp://voters.eci.gov.in पर फॉर्म-7 भरना होगा। यदि कोई व्यक्ति गांव/शहर में वोट रखना चाहता है और सर्विस वोटर सूची से अपना नाम हटवाना चाहता है, तो वह http://svp.eci.gov.in पोर्टल के माध्यम से अपना सर्विस वोट हटवा सकता है। जनवरी 2025 में जारी मतदाता सूची के अनुसार, प्रदेश में कुल 84,29,459 मतदाता पंजीकृत हैं। इनमें 43,64,667 पुरुष, 40,64,488 महिला और 304 थर्ड जेंडर मतदाता शामिल हैं। निर्वाचन कार्यालय ने सभी मतदाताओं से समय रहते अपना विकल्प चुनने की अपील की है, ताकि एसआईआर के दौरान कोई दिक्कत न आए और मतदाता सूची पूरी तरह अद्यतन और शुद्ध रहे।
प्रधान चुनाव, निकाय चुनाव की वोटर लिस्ट अलग..
कई मतदाताओं के बीच यह भ्रम है कि यदि वे अपने गांव या शहर की मतदाता सूची से नाम कटवाते हैं, तो वे प्रधान या नगर पालिका चुनाव में वोट नहीं दे पाएंगे। निर्वाचन कार्यालय ने इस पर स्पष्ट किया है कि ऐसा कोई असर नहीं होगा। निर्वाचन कार्यालय के मुताबिक, विशेष गहन पुनरीक्षण (एसआईआर) केवल चुनाव आयोग की मतदाता सूची को अद्यतन करने के लिए किया जा रहा है, जिसका उपयोग लोकसभा और विधानसभा चुनावों में वोटिंग के लिए होता है। पंचायत और नगर निकायों के चुनाव की जिम्मेदारी राज्य निर्वाचन आयोग की होती है, और इनका वोटर सूची अलग तैयार की जाती है। इस कारण, एसआईआर के तहत किसी भी मतदाता द्वारा किया गया बदलाव पंचायत या नगर निकाय चुनावों पर कोई प्रभाव नहीं डालेगा। निर्वाचन कार्यालय ने मतदाताओं से अपील की है कि वे भ्रमित न हों और समय रहते अपने विकल्प चुनें, ताकि आगामी लोकसभा और विधानसभा चुनाव में उनकी वोटिंग प्रक्रिया सुरक्षित और शुद्ध बनी रहे।
दो जगह वोट होने पर फंस सकते हैं कानूनी पचड़े में..
चुनाव आयोग ने उत्तराखंड के सर्विस मतदाताओं को चेतावनी दी है कि यदि उनका वोट दो जगह पंजीकृत पाया गया तो वे कानूनी कार्रवाई के तहत फंस सकते हैं। आयोग ने स्पष्ट किया है कि मतदाता को गांव या शहर की मतदाता सूची में से किसी एक ही जगह अपना नाम रखना होगा और दूसरी जगह से हटवाना अनिवार्य है। विशेष गहन पुनरीक्षण (एसआईआर) के दौरान दोहरी वोटिंग पकड़ में आने पर लोक प्रतिनिधित्व अधिनियम 1951 के तहत कार्रवाई की जा सकती है, जिसमें सजा का प्रावधान भी शामिल है। निर्वाचन कार्यालय ने कहा कि जितने भी सर्विस मतदाता हैं, वे किसी एक ही जगह अपना वोट सुनिश्चित कर लें। हटवाने के बाद आवश्यकता पड़ने पर भविष्य में किसी भी समय नए सिरे से वोट बनवाया जा सकता है। चुनाव आयोग ने मतदाताओं से अपील की है कि वे समय रहते अपना विकल्प चुनें, ताकि आगामी विधानसभा और लोकसभा चुनाव में उनकी वोटिंग प्रक्रिया सुरक्षित और वैध बनी रहे।
