नमामि गंगे अभियान के तहत नारायण नगर में जागरूकता शिविर, योग, वैदिक परंपरा और गंगा संरक्षण पर रहा विशेष जोर..
उत्तराखंड: हिमालय के संत के नाम से प्रसिद्ध संत नारायण स्वामी आश्रम, नारायण नगर में आज राजकीय स्नातकोत्तर महाविद्यालय, नारायण नगर के तत्वावधान में ‘नमामि गंगे’ कार्यक्रम के तहत एक विशेष जनजागरूकता शिविर का आयोजन किया गया। यह आयोजन अंतर्राष्ट्रीय योग दिवस की पूर्व संध्या पर रखा गया, जिसका उद्देश्य गंगा नदी के संरक्षण, स्वच्छता और भारतीय योग एवं वैदिक परंपरा के प्रति आमजन को जागरूक करना रहा। कार्यक्रम के दौरान वक्ताओं ने कहा कि गंगा सिर्फ एक नदी नहीं, बल्कि भारत की संस्कृति और चेतना की धारा है, जिसकी शुद्धता और प्रवाह बनाए रखना हम सभी का कर्तव्य है। आयोजकों का उद्देश्य हैं कि यह शिविर केवल योग दिवस की तैयारी नहीं, बल्कि गंगा के संरक्षण और वैदिक परंपरा के पुनर्स्मरण का प्रयास है, आयोजकों ने कहा। इस पहल को स्थानीय लोगों ने भी खूब सराहा और ऐसी गतिविधियों को नियमित रूप से आयोजित करने की आवश्यकता जताई।
शिविर की शुरुआत योगाचार्य डॉ. सुनील लोहनी एवं वेदाचार्य गोपेश पाण्डेय के मार्गदर्शन में योगासन, प्राणायाम एवं ध्यान सत्र से हुई। प्रतिभागियों को वैदिक ज्ञान, शास्त्रार्थ और भारत की प्राचीन आध्यात्मिक परंपराओं से भी परिचित कराया गया। कार्यक्रम के नोडल अधिकारी डॉ. दिनेश कोहली ने आयोजन की पृष्ठभूमि और उद्देश्य पर कहा कि यह आयोजन न केवल योग के माध्यम से स्वस्थ जीवन के प्रति प्रेरित करता है, बल्कि गंगा जैसी जीवनदायिनी नदी के संरक्षण की जिम्मेदारी भी हम सभी को स्मरण कराता है। कार्यक्रम में छात्रों, शिक्षकों और स्थानीय नागरिकों की सक्रिय भागीदारी रही। सभी ने यह संकल्प लिया कि वे न केवल योग को अपने जीवन में अपनाएंगे, बल्कि नदी संरक्षण और स्वच्छता अभियान में भी सहभागी बनेंगे। कार्यक्रम के मुख्य अतिथि क्षेत्रीय विधायक विशन सिंह चुफाल ने कहा कि गंगा केवल एक नदी नहीं, बल्कि भारत की सांस्कृतिक आत्मा है। योग और वेदों की साधना के माध्यम से व्यक्ति न केवल आत्मविकास करता है, बल्कि पर्यावरण एवं प्राकृतिक धरोहरों की रक्षा में भी अपनी भूमिका सुनिश्चित करता है।
कार्यक्रम के विशिष्ट अतिथि, प्रो. गिरीश चन्द्र पंत, प्राचार्य, राजकीय महाविद्यालय मुवानी ने भारत सरकार की “नमामि गंगे” योजना के महत्व को रेखांकित करते हुए युवाओं से इस अभियान से जुड़ने का आह्वान किया। उन्होंने कहा कि गंगा केवल एक नदी नहीं, बल्कि हमारी सांस्कृतिक पहचान है। इसका संरक्षण हमारा नैतिक दायित्व है। प्राचार्य प्रो. प्रेमलता पंत ने महाविद्यालय परिवार की ओर से अतिथियों का स्वागत करते हुए कहा कि ऐसे आयोजन विद्यार्थियों में पर्यावरणीय चेतना, स्वास्थ्य के प्रति जागरूकता और भारतीय सांस्कृतिक मूल्यों के प्रति श्रद्धा उत्पन्न करते हैं। कार्यक्रम के नोडल अधिकारी डॉ. दिनेश कोहली ने बताया कि यह शिविर न केवल योग के प्रति जागरूकता फैलाने का माध्यम है, बल्कि यह गंगा जैसी जीवनदायिनी नदी के संरक्षण की सामूहिक चेतना को भी जागृत करता है। शिविर में बड़ी संख्या में विद्यार्थियों, शिक्षकों और स्थानीय नागरिकों ने भाग लिया और पर्यावरण संरक्षण, स्वच्छता और स्वस्थ जीवनशैली अपनाने का संकल्प लिया।
